30 साल पहले मामला दर्ज कर जांच करना भूली मुजफ्फरपुर पुलिस, कोर्ट ने थानाध्यक्ष को तलब किया

मनियारी थाना में 30 साल पहले मारपीट व चोरी के तीन मामले दर्ज कर पुलिस इसकी जांच करना ही भूल गई। पुलिस की इस लापरवाही से कोर्ट में तारीख दर तारीख ही चलती रही। हाईकोर्ट ने इन तीनों मामले को निष्पादन के लिए प्राथमिकता सूची में रखा है। इन मामलों का जल्द से जल्द निष्पादन कराए जाने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट के निर्देश पर न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) रोहन रंजन ने दो दिनों के अंदर इस संबंध में प्रतिवेदन दाखिल करने का आदेश मनियारी थानाध्यक्ष को दिया था। चार दिन बीतने के बाद भी थानाध्यक्ष ने कोर्ट में कोई उत्तर दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए थानाध्यक्ष को तलब किया है। कहा है कि दो दिनों अंदर आपसे प्रतिवेदन की मांग की गई थी। जिसे गुरुवार तक प्राप्त नहीं कराया गया है।

आप स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर आदेश पालन नहीं करने का कारण बताएं। यह भी बताएं कि क्यों नहीं आपके इस आचरण के विषय में माननीय उच्च न्यायालय को सूचित किया जाए और आपके विरुद्ध कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी को प्रेषित किया जाए।

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केस संख्या-एक :- मनियारी थाना के सोनबरसा डीह गांव के जगदीश राम ने 29 जून 1990 को अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि 28 जून की रात उसके घर से गहने, घड़ी व अन्य कीमती सामान की चोरी हो गई। पुलिस ने वैशाली जिला के गोरौल थाना के चैपट गांव के सीताराम बिंद उर्फ भोल्टर को गिरफ्तार किया।

उसके पास से जगदीश राम की घड़ी बरामद की गई। यह घड़ी जगदीश राम के पुत्र की थी और इस पर उसका नाम भी लिखा हुआ था। भोल्टर की निशानदेही पर महेंद्र महतो व बिंदेश्वर महतो सहित अन्य आरोपितों के घर पर पुलिस ने छापेमारी की। इस छापेमारी में चोरी गए गहने सहित अन्य सामान बरामद हुए। पुलिस इसकी जांच पूरी कर आरोपितों के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी।

केस संख्या- दो :- मनियारी थाना के महंत मनियारी गांव के राजकुमार साह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि वह ताड़ी उतार कर खड़ा था। उसी समय उसका भतीजा सुरेश साह, बल्लभ साह व प्रगास साह उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगा। इसका विरोध करने उसके सिर पर फरसा से वार कर जख्मी कर दिया। इस मामले की जांच भी पुलिस पूरी नहीं कर पाई।

केस संख्या – तीन :- मनियारी थाना क्षेत्र के चैनपुर बंगरा गांव के अब्दुल रउफ ने आठ फरवरी 1990 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि छह फरवरी 1990 की शाम वह अपनी खेत में लगी मक्का की फसल में पटवन कर रहा था। उसके ममेरे भाई मो.इरफान ने अकील अहमद को राख फेंकने से मना किया।

इससे अकील गुस्से में आ गया और अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगा। इसका विरोध करने पर मो.अकील, अताउर रहमान व अब्दुल हक सहित अन्य आरोपितों ने उसे व उसके ममेरे भाई को लाठी-डंडे से मारपीट कर घायल कर दिया। पुलिस इसकी जांच पूरी कर कोर्ट में अंतिम प्रपत्र दाखिल नहीं कर पाई है।