बढ़ रही गर्मी, बच्चों के शरीर में ना होने दें डिहाइड्रेशन, इस प्रकार

मौसम में हो रहे बदलाव और बढ़ती गर्मी के बीच डायरिया का होना उन सबसे सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिनसे बच्चे तो बच्चे, बड़े भी पीड़ित हो सकते हैं। डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती है एवं कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़ें भी इसे शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक मानते हैं। सही समय पर डायरिया के लक्षणों को जानकर उनका उचित प्रबंधन कर बच्चों को इस गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।

बच्चों के शारीरिक बदलाव पर दें ध्यान, इन लक्षणों के प्रति रहें सतर्क: -डायरिया के शुरूआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है। इसमें लगातार पतले दस्त आना , बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना, प्यास बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना, दस्त के साथ हल्के बुखार का आना, कभी-कभी स्थित गंभीर हो जाने पर दस्त में खून भी आना आदि शामिल है।

बड़े बच्चों को ओआरएस देकर करें बचाव:- बार-बार डायरिया, दस्त लगने से हुए डिहाइड्रेशन को दूर करने के लिए बड़े बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सलूशन (ओआरएस) का घोल पिलाएं। इससे दस्त के कारण पानी के साथ शरीर से निकले जरुरी एल्क्ट्रोलाइट्स ( सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) की कमी को दूर किया जा सकता है। माताएं अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र या सेविका से संपर्क कर इस बात की जानकारी ले सकती हैं की ओआरएस का घोल कैसे बनाना है और किस उम्र के बच्चे को इसकी कितनी मात्रा कितने बार दिया जाना है।नवजातों व छह महीने तक के शिशु के लिए स्तनपान एक मात्र विकल्प

छह माह तक के शिशुओं को डायरिया से बचाने के लिए नियमित स्तनपान पर अधिक जोर देने की जरूरत है। छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। डायरिया के लक्षण यदि ओ.आर.एस. के सेवन के बाद भी रहे तो अविलंब मरीज को डाक्टर के पास ले जाएं तथा उचित उपचार कराएं।

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हकीम के बताए उपायों से बचेंनीम हकीम द्वारा बताए गए उपायों से बचना चाहिए तथा ऐसी स्थिति में चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। बच्चों में डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गयी देरी होती है। बारिश के मौसम में जल जनित संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और भोजन बनाने और खाने समय साफ़-सफाई रखने के अलावा शुद्ध जल का सेवन अनिवार्य है।