उत्तराखंड के सीएम की दौड़ में धामी आगे लेकिन रेस में सतपाल महाराज और धन सिंह रावत समेत कई दिग्‍गज, पीएम मोदी से शाह की चर्चा

सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की गुत्थी सुलझ जाएगी। शाम पांच बजे उत्तराखंड के पर्यवेक्षक व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में देहरादून में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक होगी, जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग जाएगी। इससे पहले रविवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर उत्तराखंड एवं और केंद्रीय नेताओं के बीच अंतिम दौर का विचार-विमर्श हुआ। इसके बाद अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बैठक में हुए विचार-विमर्श के बारे में जानकारी दी।

अनिल बलूनी भी रेस में :- बैठकों के बाद मिले संकेतों से साफ है कि चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल निवर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी अन्य दावेदारों से आगे माने जा रहे हैं। अन्य नाम भी चर्चा में हैं, जिनमें सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और ऋतु खंडूड़ी शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व के साथ नजदीकियों के कारण राज्यसभा सदस्य व केंद्रीय मीडिया सेल के प्रमुख अनिल बलूनी को भी नकारा नहीं जा रहा है।

दिल्ली पहुंचे धामी :- सोमवार को विधायक दल की बैठक के पहले रविवार को भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में अमित शाह के घर पर हुई बैठक में धामी और कौशिक के साथ-साथ उत्तराखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे।

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विधायक दल की बैठक में होगा सीएम का चयन :- पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव संगठन बीएल संतोष ने भी बैठक में हिस्सा लिया। बैठक लगभग एक घंटे तक चली। बैठक के बाद धामी ने कहा कि विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा। वहीं मदन कौशिक ने बताया कि सभी नेताओं से सुझाव लिए गए हैं। अमित शाह की बैठक के बाद देहरादून रवाना होने से पहले धामी ने निशंक के साथ उनके घर पर जाकर मुलाकात की।

आज खत्म होगा इंतजार :- दिन भर चली बैठकों के बावजूद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में स्पष्ट रूप से कोई एक नाम सामने नहीं आ पाया है और इसके लिए सोमवार को देहरादून में होने वाली विधायक दल की बैठक का इंतजार करना होगा। गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 70 में से 47 सीटें जीतने के बाद भी मुख्यमंत्री पुष्कर ¨सह धामी की हार के कारण मुख्यमंत्री पद की गुत्थी उलझ गई थी।

प्रयोग की गुंजाइश नहीं :- तमाम कयासों के बावजूद भाजपा के लिए उत्तराखंड में ज्यादा प्रयोग की गुंजाइश नहीं है। दरअसल पिछले साल दो मुख्यमंत्रियों पर प्रयोग करने के बाद आखिरकार केंद्रीय नेतृत्व ने धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपी थी। धामी भले ही अपना चुनाव हार गए हों, लेकिन भाजपा की जीत में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। यही कारण है कि राज्य के दिग्गज नेताओं के दावे के बावजूद धामी मुख्यमंत्री पद की दौड़ से कभी बाहर नहीं हुए हैं।