बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षकों की बहाली के लिए जारी किए विज्ञप्ति और उसमे अनुभव की बाध्यता को जोड़ देने से टीइटी शिक्षकों का आक्रोश चरम पर है। शिक्षक टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के आह्वान पर आगामी 26 मार्च को जिलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन करके अपना आक्रोश प्रकट करेंगे। इस बात की जानकारी देते हुए संघ के जिला अध्यक्ष प्रमोद मंडल एवं प्रवक्ता धनंजय झा ने कहा कि बिहार में शिक्षा का अधिकार अधिनियम तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के तमाम प्रावधानों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
इन प्रावधानों के तहत बहाल शिक्षकों को जहां एक ओर सहायक शिक्षक एवं राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए वहीं सरकार जो शिक्षकों को दे भी रही है उसमें कटौती कर रही है। यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद जो शिक्षक भी नही बन सकते । उन्हें सीधे प्रधान शिक्षक बना रही है। प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक के मामले में संघ के द्वारा पटना उच्च न्यायालय में वाद दायर किया जा चुका है । मामला वहां लंबित है, बगैर फैसला आए या मामले के निबटारे का इस प्रकार विज्ञप्ति निकालना कही से भी न्यायसंगत नही है।
हम टीइटी एसटीइटी शिक्षकों की हकमारी पर चुप्प नही बैठेंगे। अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। वही संघ के महासचिव रंजन पासवान, कोषाध्यक्ष शिबली अंसारी, सचिव राजीव पासवान ने बताया कि टीइटी- एसटीइटी शिक्षकों के अलग संवर्ग, पेंशन, ग्रेच्युटी, पुरुष शिक्षकों के स्थानांतरण, नव प्रशिक्षित शिक्षकों का अंतर वेतन सहित सभी तरह के अंतर वेतन का अविलंब भुगतान, सेवा निरंतरता एवं वेतन संरक्षण का लाभ, नवचयनित शिक्षको के वेतन भुगतान समेत विभिन्न मांगों को लेकर सड़क से न्यायालय तक कि लड़ाई को तेज करेंगे।
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ जारी विज्ञापन को जलाकर किया विरोध :
टीइटी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने प्रधानाध्यापक परीक्षा को लेकर बीपीएससी के जारी विज्ञापन को बीआरसी खिरमा-पथरा परिसर में जलाकर विरोध दर्ज किया। जिला संयोजक चंदन कुमार ने कहा कि टीइटी शिक्षकों के साथ लगातार सौतेलापन का व्यवहार हो रहा है। पहले तो समय से प्रशिक्षण नहीं दिया गया जब प्रशिक्षण पूर्ण हुआ तो इंडेक्स में घोटाला कर वेतन विसंगति को जन्म दिया गया।
आज तक हम इसको लेकर संघर्ष कर ही रहे थे कि प्रधानाध्यापक बहाली को लेकर बीपीएससी ने विज्ञापन जारी कर दिया है। इस विज्ञापन में परीक्षा में बैठने को लेकर ऐसी शर्तें है जिससे टीइटी टी उत्तीर्ण शिक्षक परीक्षा में बैठने से पूर्व ही अयोग्य हो गए हैं। जिलाध्यक्ष मोहन मुरारी ने कहा है कि विज्ञापन में स्पष्ट है कि आठ वर्ष का निरंतर सेवा अनिवार्य है। जिसकी गिनती प्रशिक्षण पूर्ण करने की तिथि से किया गया है। जबकि अधिकतम टीइटी शिक्षकों का सेवा में आए हुए आठ वर्ष नहीं हुआ है। टीइटी शिक्षक योग्य हैं जिसे सर्वो’च न्यायालय ने भी माना है।
बेहतर वेतन देने का सुझाव भी दिया है। जिला सचिव नवीन कुमार मिश्रा ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सर्वो’च न्यायालय के सुझाव के विपरित मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। कुछ प्रखंडों में तीन वर्षों से नवप्रशिक्षित टीइटी शिक्षकों का अंतर वेतन बकाया है ।
जो शिक्षक सरकारी विद्यालय में कार्यरत हैं उन्हें बीपीएससी के प्रस्तावित परीक्षा में बैठने का समान अवसर प्रदान करने की मांग की। मौके पर जिला उपाध्यक्ष प्रशांत कुमार झा, गुड्डू कुमार, श्याम कुमार, लाल बिहारी मंडल, प्रशांत कुमार यादव, माला कुमारी, शारदा कुमारी, मो. अब्दुल्ला आदि शिक्षक मौजूद थे।