कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, जानें किन कारणों से घटे दाम

टोक्यो, रॉयटर्स :-  तेल की कीमतों में मंगलवार को पिछले दिन की तुलना में गिरावट आई क्योंकि यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता आगे बढ़ रही है। इसके अलावा, चीन के शंघाई में कोरोना वायरस मामलों के कारण लगा लॉकडाउन भी इसमें भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसकी वजह से तेल की डिमांड घटने की चिंताएं बढ़ी हैं।

ब्रेंट क्रूड वायदा 60 सेंट्स या 0.5 फीसदी गिरकर 111.88 डॉलर प्रति बैरल (0649 GMT) पर था, जो 109.97 डॉलर तक भी गिरा था। वहीं, यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड फ्यूचर्स 59 सेंट्स या 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ 105.37 डॉलर पर था, जो 103.46 डॉलर के निचले स्तर तक भी गया था।

दोनों बेंचमार्क कॉन्ट्रैक्ट्स में सोमवार को करीब 7% की गिरावट आई। यूक्रेन और रूस दो सप्ताह से अधिक समय के बाद अपनी पहली शांति वार्ता के लिए मंगलवार को इस्तांबुल में मिलने वाले थे।

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यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण तेल की आपूर्ति में कमी आई है और इस महीने की शुरुआत में कीमतें 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं।

निसान सिक्योरिटीज के शोध महाप्रबंधक हिरोयुकी किकुकावा ने कहा, “यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता की उम्मीदों से तेल की कीमतें फिर दबाव में हैं, जिससे रूसी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों में ढील मिल सकती है या इनसे बचा जा सकता है।”

नौ दिनों के शंघाई के दो चरणों वाले लॉकडाउन से दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक चीन में ईंधन की मांग प्रभावित होने की उम्मीद है। एएनजेड रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा कि चीन के तेल की खपत में शंघाई का हिस्सा लगभग 4% है।

एनएलआई रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ अर्थशास्त्री त्सुयोशी येनो ने कहा, “बिकवाली का दबाव इस चिंता को लेकर बढ़ गया कि चीन अन्य जगहों पर भी महामारी को रोकने के लिए और प्रतिबंध लगा सकता है।”

तेल बाजार को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और सहयोगियों (ओपेक+) की गुरुवार को होने वाली बैठक का भी इंतजार है।