समस्तीपुर में किसानों की सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें हुई बर्बाद, जलजमाव से बढ़ी से परेशानी

समस्तीपुर। उजियारपुर प्रखंड क्षेत्र में रुक-रुककर लगातार हो रही बारिश से किसानों के खेत जलमग्न हो गए हैं। स्थिति बिल्कुल बाढ़ जैसी हो गई है। किसानों के खेतों में लगी सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। वहीं सड़कों पर भी 2 से 3 फीट पानी लगा हुआ है। रामचंद्रपुर अंधैल पंचायत, पतैली, सूरजपुर सहित कई गांवों के लोग प्रभावित हैं। पंचायत के लोगों को गांव और टोले से निकलना भी मुश्किल हो गया है।

किसानों को अगली फसल भी नहीं होने की चिंता सताने लगी है। लोगों ने समस्या के निदान के लिए जिला समाहर्ता को लिखित आवेदन देकर जल निकासी के साथ-साथ फसल क्षति मुआवजा देने की मांग की है। वहीं विभूतिपुर विधायक अजय कुमार ने रामचंद्रपुर अंधैल पंचायत पहुंचकर लोगों की समस्या से रूबरू हुए और जिला एवं प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों को सूचित करके जल निकासी करवाने को कहा। साथ ही विधायक ने लोगों को आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द लोगों को इस समस्या से निजात दिलाया जाएगा। वहीं किसानों को उचित मुआवजा दिलवाने का भी आश्वासन दिया है। मौके पर विंदेश्वर प्रसाद सिंह, हरेकृष्ण सिंह, राम विनोद शर्मा, उदय सिंह, पूर्व मुखिया उमेश सहनी, दशरथ दास सुरेश प्रसाद सिंह, पैक्स अध्यक्ष विद्यानंद सिंह आदि सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।

पशुओं के खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के द्वारा वर्चुअल प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। किसान चौपाल में 125 किसानों एवं छात्रों ने हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एमएस कुंडू ने अपने संबोधन में पशुओं के प्रबंधन एवं बीमारियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। किसानों को सलाह दी कि पशुओं को बीमारी से बचाव के लिए सर्वप्रथम टीका लगवाएं। वर्चुअल मीटिंग में मौजूद भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिक डॉ. सुनील एकता नाथ जाधव ने पशुओं के खानपान पर चर्चा करते हुए पशुपलकों को बरसात के मौसम में विशेष ध्यान रखने को कहा। उन्होंने किसानों के द्वारा किए गए प्रश्नों का भी उत्तर दिया।

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इज्जत नगर बरेली के वैज्ञानिक डॉ. चंद्रहास ने मुर्गी पालन से संबंधित किसानों को जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्रजातियाें के बारे में भी जानकारी दी, जिसे घर के पीछे पाला जा सकता है। मुर्गियों में पाई जाने वाली विभिन्न बीमारियों के संबंध में भी बताया और उससे बचाव के भी उपाय सुझाए। कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक डॉ. रंजन कुमार ने पशुपालन को व्यवसायिक दृष्टिकोण से अपनाने पर बल दिया। कहा कि वैज्ञानिक तकनीक से पशुपालन करने वाले पशुपालकों के लिए काफी लाभदायक होगा। प्रसार शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक डॉ. अनुपमा कुमारी, कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर के तिवारी ने भी इसमें भाग लेते हुए विचार रखे।