क्रेडिट कार्ड या पे लेटर दोनों में कौन बेहतर, जानिए, किससे खरीदारी करना फायदे का सौदा

नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए पे लेटर का विकल्प उपलब्ध करा रही हैं। वहीं, क्रेडिट कार्ड से ऑफलाइन या ऑनलाइन खरीदारी पर 45 दिन का इंटरेस्ट फ्री पीरियड मिलता है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि दोनों ही मोड में इंटरेस्ट फ्री री-पेमेंट की सुविधा है, फिर दो अलग-अलग कार्ड की क्या जरूरत है? तो आइए इन दोनों विकल्प की तुलना करते हैं ताकि आप एक विवेकपूर्ण फैसला लेकर सही बेहतर विकल्प का चयन कर सकें।

क्रेडिट कार्ड और पे लेटर पर ब्याज का गणित==पे लेटर पर तीन इक्वल इंटरेस्ट फ्री इंस्टॉलमेंट की सुविधा मिलती है। उसके बाद बिलिंग सर्कल से बैलेंस अमाउंट पर 3-4 प्रतिशत का कैरी फॉरवर्ड शुल्क वसूला जाता है, जब मिनिमम पेमेंट ड्यू किया जाता है। बैंकिंग विशेषज्ञों के अनुसार, पे लेटर पर प्रति वर्ष 16% से 40% की दर से ब्याज भुगतान करना पड़ सकता है। वहीं, क्रेडिट कार्ड पर भी आपको 36-42% की दर से सलाना ब्याज भुगतान करना पड़ता है।

रिवॉर्ड प्वाइंट==क्रेडिट कार्ड पर दिए जाने वाले बेनिफिट और ऑफर आम तौर पर पे लेटर कार्ड पर उपलब्ध लाभों की तुलना में अधिक होते हैं। क्रेडिट कार्ड प्रत्येक लेनदेन पर रिवॉर्ड प्रदान करते हैं, जो जमा होते रहते हैं और एक निश्चित संख्या में अंक एकत्र होने के बाद एयर मील, गिफ्ट वाउचर, होटल बुकिंग आदि के रूप में दिया जाता है।

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

वहीं, पे लेटर कार्ड फ्लैट 1 प्रतिशत का कैशबैक प्रदान करता है। क्रेडिट कार्ड जारीकर्ताओं के पास विशिष्ट पूर्व-निर्धारित पात्रता मानदंड होते हैं। इस तरह, बिना किसी क्रेडिट इतिहास वाले या बहुत कम कमाई वाले उपभोक्ताओं को ‘पे लेटर’ कार्ड मिल सकता है। हालांकि, क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना व्यक्ति की क्रेडिट, चुकौती व्यवहार और आय की स्थिरता पर निर्भर करता है।

सभी जगह उपयोग करने की आजादी==क्रेडिट कार्ड का उपयोग लेन-देन के लिए किया जा सकता है जब आप विदेश में होते हैं, जो पे लेटर नहीं देते हैं। पे लेटर’ कार्ड पर, क्रेडिट सीमा 2,000 रुपये से शुरू होती है और अधिकतम 10 लाख रुपये तक जा सकती है, जबकि क्रेडिट कार्ड पर क्रेडिट सीमा आमतौर पर 20,000 रुपए से शुरू होती है। क्रेडिट कार्ड की सीमा पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है क्योंकि लेंडर आपके उपयोग, आय और खर्च की आवृत्ति के अनुसार आपकी क्रेडिट सीमा बढ़ा सकता है।