नई दिल्ली। ICMR के वैज्ञानिक कोरोना डेल्टा वेरिएंट के नए म्यूटेशन डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में और जानकारी जुटा रहे हैं। ICMR के वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट कितना खतरनाक है और इस पर वैक्सीन कितनी कारगर है. आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि इस समय महामारी से बचाव के लिए दी जा रही वैक्सीन कोरोना के डेल्टा प्लस पर कितनी कारगर है, यह तो आने वाले 7 से 10 दिनों में ही पता चलेगा.
उन्होंने कहा कि कोरोना के डेल्टा वेरियंट में म्यूटेशन भी दबाव के कारण होता है और इससे बेहतर माहौल मिलता है. उन्होंने कहा कि क्लस्टर में वायरस फैलने का खतरा ज्यादा है. डॉ. भार्गव ने कहा कि डेल्टा-डेल्टा प्लस वेरिएंट का कल्चर टेस्ट अप्रैल-जून से किया जा रहा है. इस टेस्ट में यह पाया जा रहा है कि डेल्टा वेरिएंट के साथ पब्लिक हेल्थ में ज्यादा बदलाव नहीं आता है। उन्होंने कहा कि कुछ वायरस संक्रमण को ज्यादा फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल ICMR इस बात पर भी शोध कर रहा है कि क्या वैक्सीन को कोरोना के बदलते रूपों के हिसाब से भी मॉडिफाई किया जा सकता है या नहीं।
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टीके के प्रभाव को जानने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता
डेल्टा प्लस वेरिएंट पर वैक्सीन के प्रभाव को जानने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता होगी। चूंकि डेल्टा प्लस संक्रमण के मामले अभी भी दुनिया भर में बहुत कम हैं, इसलिए इस पर वैक्सीन के प्रभाव का पता लगाने में समय लगेगा। अभी इसका कोई प्रमाण नहीं है कि इसका संक्रमण बढ़ रहा है।
भारत सहित 85 देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामले
डेल्टा संस्करण, जिसे भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है, दुनिया के 85 देशों में पहुंच गया है और पिछले दो हफ्तों में ही 11 क्षेत्रों में इसके मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 22 जून को जारी कोविड पर अपने अपडेट में यह बात कही है। ऐसे में इसके बाकी वेरिएंट्स के मुकाबले डेल्टा पर हावी होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, भारत समेत अन्य देशों में डेल्टा प्लस के कुछ ही मामले सामने आए हैं।
Source-news 18