कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने से सामुदायिक हॉल, मैरिज हॉल और गार्डन, होटल आदि के व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हालत यह है कि अप्रैल से शुरू होने वाले लगान के आधे से अधिक बुकिंग संक्रमण के डर से अब तक रद्द कर दिए गए हैं। इस तरह के दर्जनों मामले हर दिन कम्युनिटी हॉल और मैरिज हॉल संचालकों के सामने आ रहे हैं। लोग अपने परिवार में शादियों की तारीखों को नवंबर और दिसंबर में स्थानांतरित करना चाहते हैं। इसके लिए मैरिज हॉल को दिए गए हजारों रुपए अगली तारीख में समायोजित करने का अनुरोध किया जाता है।
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ऑल बिहार टेंट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के राज्य सचिव ज्ञान कुमार का कहना है कि ऐसे लोग हर दिन पहुंच रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देकर अग्रिम को समायोजित करने का आग्रह कर रहे हैं। हम भी ठीक नहीं हैं। हमारे पास कोई अग्रिम नहीं है, लेकिन हलवाई, सजावट, प्रकाश आदि जैसे विवाह में काम करने वाले अन्य लोगों को दिया गया है। शादियों को रद्द करने या स्थगित करने से शादी के आयोजकों को भारी नुकसान होगा।
50 करोड़ का कारोबार प्रभावित
ऑल बिहार टेंट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के राज्य सचिव का कहना है कि शादी समारोहों के रद्द होने से केवल पटना में 1.25 अरब रुपये से 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होने की उम्मीद है। अप्रैल में केवल पटना में ही लगभग पचास करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। पटना शहर में लगभग छह सौ मैरिज गार्डन, मैरिज हॉल, कमेटी हॉल आदि हैं। औसतन 25 से 50 हजार रुपये की वेन्यू की बुकिंग की जा चुकी है।
बैंड बैंजो से लेकर खानपान तक से प्रभावित
शादी समारोहों के रद्द होने से पिछले साल की तरह खानपान, हलवा, वेटर-मसलची, बैंड-बाजा, शहनाई वादक, डेकोरेटर, बग्गी संचालक आदि का कारोबार भी प्रभावित होगा। मैरिज हॉल संचालक विशाल कुमार का कहना है कि एक शादी में विभिन्न व्यवसायों से जुड़े चालीस से पचास लोगों को रोजगार मिलता है। विवाहों को रद्द करने का प्रभाव उन सभी पर पड़ता है। हलवाई शंकर कुमार का कहना है कि शादी समारोहों को रद्द करने से इस साल भुखमरी आ जाएगी। बैंड-बाजा और चंदा-गेट की बुकिंग में 50 से 60 हजार रुपये खर्च होते हैं और दस से पंद्रह लोगों को इसमें प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। विवाहों के अभाव के कारण इन लोगों की कमाई पर भी संकट गहरा गया है।