विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस ने बचा ली अपनी लाज, राजद के मुंह मोड़ने के बाद भी दिखाया दम

बिहार की राजनीति में पिछले दो दशक से राजद के साए में चलने वाली कांग्रेस महागठबंधन से अलग होने के बावजूद अपनी लाज बचाने में कामयाब रही। पार्टी ने एक सीट पर जीत तो दर्ज कराई ही कुछ दूसरी सीटों पर भी उसने अपनी ठोस उपस्थिति दर्ज कराई है। पार्टी भी मानती है कि वह खाली हाथ चुनाव मैदान में गई थी और उसने पूर्व के चुनाव की अपेक्षा शानदार प्रदर्शन किया है।

राजद के साथ जाने का किया हर संभव प्रयास :-विधान परिषद के स्थानीय निकाय कोटे के चुनाव शुरू होने के काफी पहले से ही कांग्रेस इस प्रयास में रही कि चुनाव मैदान में वह राजद के साथ जाएगी, लेकिन बात बनी नहीं। दो सीटों पर पूर्व में हुए उपचुनाव के बाद परिषद चुनाव में भी कांग्रेस को दरकिनार करते हुए राजद ने अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया।

मजबूरी में पार्टी ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार देने का घोषणा की। यह अलग बात है कि कांग्रेस ने 24 की बजाय उसने सिर्फ 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। पूर्वी चंपारण के निर्दलीय उम्मीदवार महेश्वर सिंह को कांग्रेस ने समर्थन दिया। यही नहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई दिग्गज नेता महेश्वर सिंह के चुनाव प्रचार में भी गए।

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पश्चिम चंपारण कराया ताकत का अहसास :- 16 उम्मीदवार और एक निर्दलीय को समर्थन देने के बाद कांग्रेस अपने बूते एक सीट बेगूसराय जीतने में कामयाब रही। पश्चिम चंपारण में कांग्रेस उम्मीदवार अफाक अहमद ने शानदार पारी खेली।

हालांकि वे चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे, लेकिन पार्टी ने यहां अपनी ताकत का एहसास कराया और कांग्रेस छोड़ जदयू में गए राजेश राम को तीसरे नंबर पर भेजने में पार्टी सफल रही। यहां से राजद उम्मीदवार ने जीत दर्ज कराई।

कांग्रेस पूर्वी चंपारण की सीट जिस पर निर्दलीय उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने जीत दर्ज कराई उसे भी अपने कोटे की सीट ही मानती है। कटिहार सीट को लेकर पार्टी का दावा है कि यदि राजद ने उसके साथ मिलकर इस सीट पर चुनाव लड़ा होता तो यहां से जीत संभव थी।

प्रदेश अध्‍यक्ष बोले-हमें कमतर आंकने की न करें भूल :-बहरहाल 16 सीटों पर लड़कर एक पर जीत दर्ज कराकर कांग्रेस ने एहसास करा दिया है कि उसका अपना आधार वोट है जो पारंपरिक रूप से उसका साथ खड़ा है।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा कहते हैं हमारा प्रदर्शन सबके सामने है। जो हमें कमतर आंकना बड़ी भूल होगी। पार्टी के दावों के बीच एक हकीकत यह है कि पहले 2020 के विधानसभा में 70 सीटों पर लड़कर 51 में बड़ी पराजय और बाद के दो सीटों पर हुए उपचुनाव में पराजय के बाद परिषद चुनाव में कांग्रेस अपनी लाज बजाने में सफल रही।