यहां दलित दुल्हे के घोड़ी चढ़ने पर पत्थर बरसाने लगे लोग, 28 के खिलाफ केस…

गुजरात के बनासकांठा जिले में एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोक दिया गया। इसके साथ-साथ उसके बारात पर भी पथराव किया गया। इस घटना के बाद पुलिस ने एक गांव के सरपंच समेत 28 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक पथराव की घटना में एक व्यक्ति घायल भी हो गया है।

पुलिस उपाधीक्षक कुशल ओझा ने कहा कि यह घटना सोमवार को जिले के पालनपुर तालुक के तहत आने वाले मोटा गांव में हुई। गढ़ पुलिस थाने में एक दिन बाद गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने (आईपीसी की धारा 143), आपराधिक धमकी (506) और एससी-एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ओझा ने बताया, ‘जब बारात गांव से गुजर रही थी, तो कुछ अज्ञात लोगों ने दो से तीन पत्थर फेंके, जिनमें दूल्हे का एक रिश्तेदार घायल हो गया। हमने प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की जांच एससी-एसटी शाखा के पुलिस उपाधीक्षक को सौंप दी है।’ उन्होंने बताया कि अभी तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। प्राथमिकी वीराभाई सेखालिया की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिन्होंने अपने छोटे भाई अतुल की शादी नजदीक के एक गांव की लड़की से 7 फरवरी को तय की थी।

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पुलिस ने शिकायत के हवाले से बताया कि जब गांव के सरपंच भारतसिंह राजपूत और मोटा के कुछ अन्य प्रतिष्ठित लोगों को पता चला कि अतुल सेखालिया शादी में घोड़ी पर बैठेगा तो उन्होंने दूल्हे के पिता को बुलाया और उनसे ऐसा करने पर अंजाम भुगतने को कहा। जब सेखालिया परिवार नहीं माना तो सरपंच ने रविवार को ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई।

सेखालिया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि बैठक में राजपूत और 27 अन्य लोगों ने सार्वजनिक रूप से दूल्हे के परिवार को कहा कि अनुसूचित समुदाय के लोग शादी में घोड़ी पर नहीं बैठ सकते, क्योंकि ‘सदियों से यह परंपरा रही है।’ शिकायत के अनुसार, सेखालिया परिवार ने इसके बाद पुलिस से सुरक्षा मांगी, लेकिन जब बारात सोमवार को दूध की एक दुकान के पास पहुंची तो कुछ आरोपियों ने शादी में शामिल बारातियों के ‘साफा’ पहनने को लेकर आपत्ति जतायी। कुछ आरोपियों ने जातिवादी टिप्पणियां कीं और अज्ञात लोगों ने पथराव किया। पुलिसकर्मियों की मदद से बारात फौरन दुल्हन के गांव के लिए रवाना हो गई और शादी होने के बाद शाम को लौट आई।