बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.हनुमान प्रसाद पांडेय, कुलसचिव डा.आरके ठाकुर, बगहा स्थित पंडित उमाशंकर तिवारी महिला कालेज के प्राचार्य डा.अरविंद कुमार समेत 11 लोगों के खिलाफ गबन और धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
बगहा के नगर थाना क्षेत्र के बनकटवा मुहल्ले में स्थापित कालेज के ही इतिहास के विभागाध्यक्ष डा.अरविंद नाथ तिवारी के आवेदन पर कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला दर्ज किया गया है। परिवादी ने कहा है कि शैक्षणिक सत्र 2007-2008 से 2012-13 तक सरकारी व यूजीसी की ओर से दी गई राशि को गलत तरीके से आपसी सहमति बनाकर घोटाला की नीयत से एक-दूसरे में बांट लिया गया।
इसकी शिकायत तत्कालीन कुलसचिव से की गई थी, लेकिन अभियुक्तों के साथ तालमेल होने से उनके स्तर से भी कार्रवाई नहीं की गई। आठ मई 2012 को विवि की ओर से कालेज में हुई वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए कमेटी गठित की गई। इसमें कालेज की ओर से तत्कालीन बर्सर चंद्रभूषण मिश्रा थे। निर्णय लिया गया कि अनुदानित राशि का वितरण कर्मियों और शिक्षकों में किया जाएगा। इसके बाद बर्सर ने राशि देने से मना कर दिया।
राशि नहीं लौटाई गई : यूजीसी की ओर से स्वीमिंग पुल निर्माण के लिए दिए गए 50 लाख रुपये में से भी गबन किया गया। 2019 में इसकी जांच कर डीएम ने कुलाधिपति को रिपोर्ट भेजी थी। वहां से आए निर्देश को प्रभारी कुलपति ने दबा दिया था। यूजीसी की ओर से छह मार्च 2020 को निर्देश दिया गया था कि गबन की गई राशि वापस करें नहीं तो आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। इसके बाद भी राशि नहीं लौटाई गई।
वहीं नियम विरोधी कार्य का विरोध करने पर जान से मारने और मुकदमा में फंसाने की धमकी दी जाती है। परिवादी ने इन पदाधिकारियों के अलावा शासी निकाय अध्यक्ष रामनिरंजन पांडेय, प्रो.राजीव कुमार पांडेय, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि प्रो. चंद्रभूषण मिश्रा, शिक्षक प्रतिनिधि प्रो.श्यामसुंदर दुबे, लेखापाल उमेश यादव, प्रधान लिपिक नर्मदेश्वर उपाध्याय, तत्कालीन प्रभारी कुलपति डा.रामनारायण मंडल सहित 11 लोगों को अभियुक्त बनाया है।
इनपर कुल 25 करोड़ रुपये गबन का आरोप है। परिवाद की सुनवाई के बाद न्यायालय ने एसपी बगहा को संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था। नगर थानाध्यक्ष आनंद कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर, विवि के कुलसचिव प्रो.आरके ठाकुर ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। नोटिस मिलने के बाद नियमानुसार जवाब दिया जाएगा।
प्राचार्य ने एसडीपीओ को सौंपा आवेदन : पंडित उमाशंकर महिला महाविद्यालय के प्राचार्य ने इस संबंध में एक आवेदन बगहा एसडीपीओ को सौंपा है। बताया है कि सरकार व यूजीसी से मिली राशि का उपयोग महाविद्यालय व परिसर में किया गया है।
वादी द्वारा इसके पहले भी उच्च न्यायालय पटना में सात साल पहले एक वाद दायर किया गया था। उसे समाप्त कर दिया गया है। वादी ने उच्च न्यायालय में दायर परिवाद को छिपाकर निचले न्यायालय में इस तरह का वाद दायर किया गया जो न्याय संगत नहीं है।