पटना। कोरोना से जंग लड़ रहे बिहार में आज से स्वास्थ्य व्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है ऐसे में राज्य सरकार की चुनौतियां भी बढ़ने वाली हैं। आज से राज्यभर के एनएचएम कर्मी कार्य ठप कर होम आइसोलेशन में जा रहे हैं, जिससे कि एपीएचसी से लेकर पीएचसी, कोविड केयर सेंटर,आइसोलेशन सेंटर, अनुमंडलीय अस्पताल, सदर अस्पताल, टेस्टिंग केंद्र और वैक्सीनेशन केंद्र पर व्यापक असर पड़नेवाला है।
संघ ने पहले ही बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मियों द्वारा घोषणा की थी, लेकिन सरकार ने ठोस पहल नहीं की, जिसके बाद सभी ने आज से काम बंद करने का फैसला किया है। सभी NHM श्रमिकों की मांग मुख्य रूप से यह है कि बीमा, स्वास्थ्य बीमा और सेवा को स्थायी बनाया जाना चाहिए, क्योंकि कोविद के दौरान स्वास्थ्य बीमा की अनुपस्थिति आश्रितों की चिंता करते हुए सभी के लिए जीवन का डर पैदा करती है। अब तक राज्य के डेढ़ दर्जन से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की कोविद के दौरान मृत्यु हो चुकी है, जिन्हें किसी भी प्रकार का अनुग्रह नहीं दिया गया है।
यूनियन के अध्यक्ष अफरोज आलम और सचिव लल्लन कुमार सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होती हैं और लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता है, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे और सभी 26 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी घर पर रहेंगे। संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अभी भी नहीं सुनी तो सभी सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। बता दें कि एनएचएम के तहत काम करने वाले 26000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में स्वास्थ्य प्रबंधक, अस्पताल प्रबंधक, डीसीएम, बीसीएम, लेखाकार, लैब तकनीशियन, डेटा ऑपरेटर, एएनएम शामिल हैं।
ये सभी कार्यकर्ता वर्तमान में अस्पताल में इलाज से लेकर कोरोना सैंपल जांच, टीकाकरण, डेटा प्रविष्टि कार्य और पूरी प्रणाली को बहाल करने में कार्यरत हैं। अगर इस आपदा के समय ये सभी 26 हजार श्रमिक घर से अलग-थलग हो जाते हैं, तो निश्चित रूप से स्वास्थ्य व्यवस्था में मंदी का खतरा हो सकता है और कोरोना के रोगियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने बातचीत की, लेकिन लिखित आश्वासन नहीं मिलने के कारण मजदूरों ने विरोध जारी रखा।
Source-news18pp