बिहार शिक्षक नियोजन: आसान नहीं 43 हजार अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच…!

बिहार शिक्षक नियोजन: राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त 94 हजार पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिमग चरण में है। तीन चक्र में जुलाई व अगस्त 2021 व जनवरी 2022 में काउंसिलिंग की जा चुकी है। करीब 43 हजार अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयनित हुए हैं।

शिक्षा विभाग ने इनको एक साथ नियुक्ति पत्र जारी देने के लिए 25 फरवरी की तिथि घोषित है। हालांकि इस प्रक्रिया के पूर्व एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन। यह कार्य 28 जनवरी तक ही पूर्ण हो जाना था, लेकिन इस तिथि को भी करीब 1200 पंचायत नियोजन इकाइयों में काउंसिलिंग चली है।

सत्यापन की जो मौजूदा स्थिति है उसके मुताबिक अगले 20 दिनों में सभी चयनितों के प्रमाण पत्रों की जांच आसान नहीं दिख रही। कारण कि हर जिले के पास डेढ़ से दो दर्जन राज्यों से सम्बद्ध प्रमाण पत्रों के सत्यापन का टास्क है। 4 फरवरी तक का हाल यह है कि तमाम जिलों में राज्य के बाहर के प्रमाण पत्रों की जांच की उपलब्धि शून्य है। सर्टिफिकेट जांच के लिए शिक्षा विभाग या प्राथमिक निदेशालय की ओर से अबतक जिलों को कोई अतिरिक्त राशि भी नहीं दी गई है। राशि दी भी गई तो समस्या यह है कि जांच कराने जाएगा कौन।

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जिला शिक्षा प्रशासन और अन्य संबंधित पदाधिकारी अभी इंटर परीक्षा कराने में व्यस्त हैं। इसके बाद मैट्रिक की परीक्षा होगी। 24 फरवरी के बाद ही ये इन परीक्षाओं से निवृत्त होंगे, जबकि 25 फरवरी को नियुक्ति पत्र बांटना है। एक-एक अभ्यर्थी के कम से कम चार-पांच प्रमाण पत्रों की जांच होनी है। इनमें मैट्रिक, इंटर, ज्यादातर के स्नातक तथा स्नात्तकोत्तर, बीएड, डीएलएड, टीईटी और एनटीईटी। राज्य से जुड़े मैट्रिक, इंटर और टीईटी के प्रमाण पत्रों की तो 80 फीसदी जांच हो जाने की सूचना है, लेकिन बाकी अभी पेंडिंग हैं।

एक डीईओ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके यहां जो अभ्यर्थी चयनित हैं, उनके प्रमाण पत्र 11 राज्यों के 70 संस्थानों से जुड़े हैं। इनकी जांच के लिए समय और संसाधन चाहिए। बहरहाल शिक्षा विभाग तमाम स्थितियों से अवगत है कि सत्यापन कराने की व्यवस्था में अधिकारी जुटे हैं। रास्ता निकालने को लेकर संभावनाओं पर विचार हो रहा है। या तो नियुक्ति पत्र वितरण की तिथि कुछ आगे बढ़ सकती है या सत्यापन में फिलहाल राज्य से जुड़े प्रमाण पत्रों को आधार बनाने से यह मुमकिन हो सकता है।