बिहार के भभुआ नगर थाना क्षेत्र के कुदासन गांव में भोजपुरी गायक ने मंगलवार रात पत्नी के साथ विवाद और विवाद के बाद आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों ने 34 वर्षीय आलोक रंजन बिहारी उर्फ रंजन ठाकुर को अपने घर के पास एक पेड़ से गले में रस्सी के सहारे लटकते हुए देखा। शोर मचाने पर ग्रामीण इकट्ठा हुए और पुलिस और परिवार के सदस्यों को सूचना दी। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने पेड़ से लटक रहे उसके शव को नीचे उतारा और पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
कुदासन गाँव के सुदर्शन ठाकुर के पुत्र रंजन भोजपुरी गायक थे। शव के पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल गए मृतक के छोटे भाई रजनीश ठाकुर ने पुलिस को बताया कि मंगलवार रात उनके भाई और भाभी कंचन देवी के बीच विवाद हुआ था। फिर दोनों बातें करने लगे। इससे गुस्साए उसके भाई ने उसकी भाभी के साथ मारपीट की। इसी बीच उसकी भाभी अपने कमरे से बाहर आई और दूसरे घर में छिप गई। उन्होंने बताया कि भाभी ने इस घटना की सूचना अपने भाई मनदेव ठाकुर, जाददूपुर निवासी को फोन से दी। उसका भाई बाइक से कुदसन पहुंचा और अपनी बहन के साथ जद्दूपुर अपने घर गया। जबकि एक बेटी और उसकी बहन के दो बेटे यहां रहे। रजनीश ने बताया कि उसका भाई बुधवार सुबह चार बजे शौच के बहाने घर से निकला और गर्दन और पेड़ से रस्सी बांध दी, जिससे उसकी मौत हो गई। उसकी गर्दन पर चोट के निशान है। उसका भाई बगल के घर में रहता था।
रजनीश ने बताया कि रात में लड़ाई के बाद, पंचायत के मुखिया और अन्य लोगों को बुलाया गया। उन लोगों द्वारा उन्हें समझाया गया। उक्त लोगों ने कहा कि हम सुबह इस मुद्दे पर बात करेंगे। लेकिन, जब मैं सुबह छह बजे उठा, तो घटना की जानकारी मिली। इसकी सूचना मुखिया सुखा देवी के पति नागा पासवान को मिली। ग्रामीणों की सूचना पर नगर थाने की पुलिस पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल ले आई, जहां डॉक्टर ने पोस्टमार्टम किया।
शव का पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल पहुंचे कुदसन और अन्य गांवों के ग्रामीणों ने कहा कि अगर कंचन झगड़े के बाद कंचन अपने भाई के साथ मायके नहीं जाती तो यह घटना नहीं होती। रंजन ने इस घटना को अंजाम दिया। आलोक रंजन की दस साल की बेटी सुहाना ठाकुर, सात साल का बेटा कृष्ण कुमार और तीन साल का बेटा अंश कुमार है। दुखी कंचन अपने पति द्वारा आत्महत्या करने के कारण बेईमानी से रो रही थी। वह समय-समय पर बेहोश हो रही थी। उसका मुंह दबाकर महिलाएं उसे होश में ला रही थीं। जब वह होश में थी, तो वह कहती थी कि अगर उसे पता होता, तो वह अपने मायके नहीं जाती। परिजनों द्वारा घटना की जानकारी मिलने पर कंचन अपने नाना जद्दूपुर से रोते हुए कुदसन ससुराल पहुंची। मां को रोता देख उसके बच्चे भी आंसुओं के साथ रो रहे थे।