बिहार में पीएम किसान सम्मान निधि के लाभ से वंचित किसानों की संख्या अब भी एक लाख से अधिक है। लगभग एक लाख दस हजार किसानों के नाम आधार कार्ड में अंकित नाम से नहीं मिल रहे हैं। राज्य सरकार ने इनको अपने नाम में सुधार के लिए अवसर दिया है। साथ ही कहा है कि अगर नाम में सुधार कर लिया तो बकाया राशि का भुगतान भी हो जाएगा।
केन्द्र सरकार ने एक दिसम्बर 2019 से इस योजना में भुगतान को आधार बेस्ड कर दिया था। खास बात यह है कि आवेदक का नाम आधार कार्ड में अंग्रेजी में लिखे नाम से मैच करना चाहिए। अगर एक भी अक्षर का अंतर हुआ तो भुगतान नहीं हो पाएगा। यह कार्रवाई शुरू हुई तो राज्य के एक लाख 69 हजार 728 किसान लाभ से वंचित हो गये। इन किसानों के आधार कार्ड का नाम आवेदन में दिए नाम से मैच नहीं कर रहा था।
कई किसानों के बैंक का आईएफएससी कोड भी गलत था। सरकार ने मौका दिया तो कुछ किसानों ने इसमें सुधार किया, लेकिन अब भी लगभग एक लाख दस हजार किसानों का नाम आधार से मैच नहीं कर रहा है। राज्य में योजना के नोडल अधिकारी संयुक्त कृषि निदेशक डीपी त्रिपाठी ने बताया कि जब तक ये किसान अपने नाम में सुधार नहीं करेंगे भुगतान नहीं हो पाएगा। जितनी जल्द सुधार कर लेंगे, भुगतान उतनी ही जल्दी शुरू हो जाएगा।
इसके लिए प्रक्रिया भी बहुत लंबी नहीं है। किसान केवल 15 मिनट का समय निकालेंगे तो छह हजार रुपये सालाना का भुगतान होने लगेगा। खास बात यह है कि सुधार होते ही बकाया राशि भी उनके खाते में चली जाएगी। इसके लिए पोर्टल पर जाकर प्रक्रिया पूरी करनी होगी। किसान सम्मान निधि योजना में चयनित किसानों को हर साल छह हजार रुपये उनके खाते में केंद्र सरकार देती है। यह राशि हर चार महीने पर तीन किस्त में दो-दो हजार करके दी जाती है। पैसा समय पर खुद खाते में चला जाता है। राज्य सरकार केवल किसानों को सत्यापित कर नाम का रिकॉर्ड भेजती है।
आंकड़ों की नजर में योजना
85 लाख किसानों को मिलती है राशि
1.10 लाख किसानों के नाम में है अंतर
6000 रुपये मिलते हैं हर साल
Source-hindustan