बिहार में पंचायत चुनाव से पहले, नीतीश कुमार सरकार पंचायती राज अधिनियम 2006 में एक अध्यादेश के माध्यम से संशोधन की तैयारी कर रही है। वास्तव में, यदि ग्राम पंचायत चुनाव समय पर नहीं होते हैं, तो पंचायतों को अवक्रमित किया जाएगा। इसके बाद पंचायती राज व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी। जब तक नव निर्वाचित प्रतिनिधियों को शपथ नहीं दी जाती है, तब तक ही अधिकारी योजनाओं को लागू व क्रियान्वन करेंगे।
ज्ञात हो कि 15 जून तक पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल है। यदि इसके पहले कोई नया चुनाव नहीं होता है, तो प्रमुख-प्रमुख आदि के अधिकारों को छीन लिया जाएगा। अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी दी जाएगी। पंचायती राज अधिनियम में यह प्रावधान नहीं किया गया है कि यदि समय पर चुनाव नहीं होते हैं, तो त्रिस्तरीय प्रणाली के तहत किए गए कार्य किए जाएंगे, जिसके माध्यम से अधिनियम में संशोधन करना अनिवार्य होगा।👉Amazing Wedding in Bihar: 21वीं सदी की होली… रंग खेलते-खेलते भर दी मांग, फिर तो यह होना ही था
अधिनियम में संशोधन के बाद, जिलों से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। पंचायती राज का काम अधीनस्थ अधिकारियों को जिलाधिकारियों के माध्यम से दिया जाएगा। वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत काम खंड विकास अधिकारी द्वारा किया जाएगा। वहीं, जिला परिषद के माध्यम से किए जाने वाले कार्य उप विकास आयुक्त द्वारा किए जाएंगे। उनके पास सभी अधिकार होंगे। चूंकि विधानमंडल अभी सत्र में नहीं है, इसलिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। बाद में इसे विधानमंडल सत्र से भी पारित कराया जाएगा।👉सुप्रीम कोर्ट का समय बर्बाद करने पर बिहार सरकार पर जुर्माना लगाया, जानें पूरा मामला
28 फरवरी 2016 को अधिसूचना जारी की गई
2016 के पंचायत चुनावों में 28 फरवरी को अधिसूचना जारी की गई थी। पहले चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों का नामांकन 2 मार्च से शुरू हुआ था। लेकिन इस बार चुनाव की तारीख पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसे देखते हुए अधिकारियों को जिम्मेदारी देने का प्रावधान किया जा रहा है।
Source-hindustan