केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आगामी बिहार पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों को समर्थन प्रदान करने के लिए पार्टी के चुनाव आयोग प्रकोष्ठ के लिए जिला स्तर पर अधिवक्ताओं की एक टीम गठित की जानी चाहिए। उन्होंने सेल से जुड़े अधिवक्ताओं को पंचायती कानून का बारीकी से अध्ययन करने का सुझाव भी दिया। दिशानिर्देशों को जानें ताकि जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता प्रदान की जा सके। प्रसाद ने यह बात रविवार को आगामी पंचायत चुनावों के लिए भाजपा चुनाव आयोग सेल की भूमिका पर पार्टी कार्यालय में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कही।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। संजय जायसवाल ने कहा कि हालांकि यह अभी तय नहीं है कि पंचायत चुनाव दलीय आधार पर होंगे या नहीं, उम्मीदवारों को कानूनी सहायता दी जा सकती है। उन्होंने आरक्षित वर्ग की उप-जातियों का नेतृत्व बढ़ाने की बात की, जिनके पास नेतृत्व की कमी है।
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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, कानून मंत्री प्रमोद कुमार, मंत्री जनक राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर, राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर, सांसद रामकृपाल यादव, विधायक संजीव चौरसिया और अरुण सिन्हा, भाजपा उपाध्यक्ष राधा मोहन शर्मा, पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय, भाजपा के पूर्व अधिवक्ता मंच अध्यक्ष शंभू प्रसाद, मंच के पूर्व अध्यक्ष हरेंद्र प्रसाद सिंह और अन्य ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।
कार्यशाला का उद्घाटन पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव, भाजपा सह संगठन मंत्री शिवनारायण प्रसाद और सेल के राज्य संयोजक राधिका रमन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम में पटना उच्च न्यायालय में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएन सिंह, भाजपा चुनाव आयोग संपर्क विभाग के संयोजक राकेश ठाकुर, सेल के सह-संयोजक कुमार सचिन आदि ने भाग लिया।
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राजद-कांग्रेस ने की एससी-एसटी की हकमारी: मोदी
पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस बात का व्यापक प्रचार होना चाहिए कि बिहार में पंचायत चुनाव 23 साल तक नहीं होने चाहिए और जब 2001 में चुनाव हुए, तो एकल पदों पर एससी, एसटी का आरक्षण, जो उनका संवैधानिक है सही है, उन्हें नकारने के लिए राजद-कांग्रेस जिम्मेदार है। उन्होंने ईवीएम के माध्यम से पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे निचले स्तर के चुनावों में गड़बड़ी पर प्रभावी अंकुश लगेगा।