बिहार के जहानाबाद की रहने वाली प्रियांशु कुमारी मैट्रिक परीक्षा में जिला टापर रही हैं। इनकी प्रतिभा का सम्मान करने के लिए गांव के लोगों ने बड़ी और अनूठी पहल की है। कमेटी गठित कर मदद करने का निर्णय लिया ।
बिहार के जहानाबाद जिले के सुमेरा गांव वासियों ने अपनी प्रतिभा संपन्न एक बिटिया को अफसर बनाने की ठान ली है। आर्थिक रूप से कमजोर प्रियांशु कुमारी मैट्रिक परीक्षा में जिला टापर रही हैं।
इनकी प्रतिभा का सम्मान करने के लिए गांव के लोगों ने बड़ी और अनूठी पहल की है। छात्रा की आगे की पढ़ाई के लिए ग्रामीणों ने कमेटी गठित कर मदद करने का निर्णय लिया है। ताकि गांव की इस प्रतिभा का सपना पैसे के अभाव में मंजिल तक पहुंचने से पहले टूट न जाए।
ग्रामीण व सेवानिवृत्त फौजी संतोष कुमार की पहल पर गांव के प्रमुख जनों की कमेटी गठित करने की कवायद प्रारंभ कर दी है। इसी गांव के पूर्व मुखिया व ग्रामीण दयानंद सिंह, जिला यूथ आइकान अमित कुमार समेत अन्य लोगों द्वारा छात्रा के सपनों की उड़ान को पंख देने के उद्देश्य से यह पहल की गई है।
ग्रामीणों की यह पहल समरस समाज से युक्त हमारी परंपरागत ग्रामीण व्यवस्था के सौंदर्यीकरण का अनुपम उदाहरण पेश कर रहा है। प्रियांशु की तमन्ना आगे आइएएस बनने की है।
प्रियांशु के गर्भ में रहते ही पिता की हो गई थी मौत मखदुमपुर प्रखंड के सुमेरा गांव की बेटी प्रियांशी कुमारी ने मैट्रिक की परीक्षा में 472 अंक लाकर जिले में प्रथम स्थान हासिल किया है। प्रियांशु जब मां के गर्भ में थीं तभी पिता कौशलेंद्र शर्मा का निधन हो गया।
कुछ समय बाद दादा की भी छत्रछाया सिर से उठ गई। माता शोभा देवी तथा दादी सुमित्रा देवी ने उसकी पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मां और दादी की देखरेख में प्रियांशु की प्रतिभा निखरी और उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में जिले में टाप किया।
डेढ़ बीघा जमीन से पल रहा परिवार… सुमेरा गांव में प्रियांशु के पैतृक मकान के साथ खेती योग्य मात्र डेढ़ बीघा जमीन है। घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं रहने के कारण खेती भी बटाइदारों द्वारा की जाती है। स्वाभाविक है जमीन के इस छोटे से टूकड़े में मुश्किल से परिवार की परवरिश होती होगी।
ऐसे में प्रियांशु के आइएएस बनने का सपना तभी साकार हो सकता है जब उसे आर्थिक संबल प्रदान किया जाए। प्रियांशु के परिवार में मां-दादी के अलावा एक बड़ी बहन है। प्रियांशु की बड़ी बहन इंटर पास होकर घर में ही रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करती है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए समाज का सहारा जरूरी हो गया था। इस हालात में सुमेरा के लोग एक नए लक्ष्य को देख रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उनकी गांव की बेटी अफसर जरूर बनेगी। हम लोग उसकी पढ़ाई लिखाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगे। प्रियांशु का मैट्रिक टापर होना सिर्फ उसके परिवार के लिए ही गर्व की बात नहीं है इससे पूरे गांव की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
जब वह अफसर बनेगी तब हम लोग अपने आप को सौभाग्यशाली और गौरवशाली महसूस करेंगे। सुमेरे गांव के लोग अपने इस निर्णय से समाज को एक नया संदेश दे रहे हैं। ऐसे में जब एक गांव के सभी लोग एक बेटी को पढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास में जुटे हैं तो निश्चित ही अन्य गांव तक यह पहल मिसाल बनकर पहुंचेगी।