पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद शराबबंदी कानून की नियमावली क्यों नहीं बन सकी। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। दो सितंबर को अगली सुनवाई होगी।
मनोरंजन प्रसाद की ओर से दायर लोकहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की। आवेदक के वकील राजेश कुमार शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 2016 में बिहार मे पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए “मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम, 2016” लागू किया है। पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद इस कानून के तहत दोषी को सजा दिलाने के लिए इस कानून की धारा 92(3) और 95 के तहत नियमावली को नहीं बनाया जा सका है। धारा 95 में नियमावली बना कर पूरे शराबबंदी कानून को लागू करने के संबंध में एक ब्लू प्रिंट तैयार करना है और सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते हुए इसे अधिसूचित करना है, लेकिन राज्य सरकार ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया है।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा था कि नियमावली बनी है कि नहीं। इसी मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जबाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 2 सितम्बर तय की।
Source-hindustan