पटना: जातीय जनगणना के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए जदयू के सांसदों ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लोकसभा में पार्टी संसदीय के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा-पहले दौर की बातचीत सार्थक रही। इस मुद्दे पर जल्द ही गृह मंत्री के साथ एक और मुलाकात होगी। सिंह ने बताया कि गृह मंत्री ने उनकी मांग को औचित्यपूर्ण बताया। जदयू सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा था। पीएमओ से कहा गया कि इस मुद्दे पर गृह मंत्री बातचीत करेंगे।
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गृह मंत्री से मुलाकात के बाद नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ललन सिंह ने कहा कि गृह मंत्री हमारी मांग से सहमत थे। लेकिन, उनका कहना था कि जातीय जनगणना का दूसरा पक्ष भी है। वह इसके दूसरे पक्ष पर विमर्श के लिए जदयू सांसदों को जल्द ही बुलाएंगे। ललन सिंह ने गृह मंत्री को बताया कि बिहार के सभी दलों ने जातीय जनगणना के पक्ष में सर्वसम्मति से अपनी राय दी है। 2019 और 2020 में विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। क्या भाजपा अब इसके पक्ष में नहीं है? जवाब में सिंह ने कहा-मैं इस समय की बात नहीं कह सकता। लेकिन, उस समय (विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के समय) तो भाजपा सहमत थी। राजद, कांग्रेस सहित सभी दलों ने इसका समर्थन किया था।
क्यों है जरूरी
जदयू संसदीय दल के नेता ने कहा कि जातीय जनगणना होने से सरकार को विभिन्न सामाजिक समूहों के कल्याण के लिए नीतियां बनाने में सुविधा होगी। 1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुई। अभी मौखिक तौर पर विभिन्न जातियों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, उसे जोड़ा जाए तो वह देश की आबादी से तीन गुना अधिक होगा। जदयू सांसदों ने गृह मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराए। प्रतिनिधिमंडल में ललन सिंह के अलावा सांसद दिलकेश्वर कामैत, रामनाथ ठाकुर, चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, संतोष कुशवाहा, रामप्रीत मंडल, कौशलेंद्र कुमार, डा. आलोक सुमन, विजय मांझी, कविता सिंह एवं सुनील कुमार पिंटू शामिल थे।
Source-jagran