बिहार सरकार की बड़ी पहल, भूमि का ब्योरा, वंशावली अब ऑनलाइन जमा करा सकेंगे रैयत

पटना. रैयत अब अपनी भूमि स्वामित्व संबंधी ब्योरा आनलाइन भी जमा करा सकेंगे. अब रैयत न केवल भूमि स्वामित्व संबंधी स्वघोषणा कर सकेंगे, बल्कि वंशावली भी ऑनलाइन जमा करा सकेंगे. इसके लिए भू-अभिलेख और परिमाप निदेशालय ने सभी जरूरी तैयारी पूरी कर ली है.

जानकारी के मुताबिक निदेशालय की वेबसाइट पर ”रैयत द्वारा धारित भूमि की स्वघोषणा” नाम से एक लिंक भी दिया है. इस लिंक के जरिये वेबसाइट पर जाकर अपनी जमीन का ब्योरा और अपनी वंशावली अपलोड की जा सकती है.

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प्रपत्र सही तरीके से अपलोड होते ही रैयत के मोबाइल पर इसकी सूचना भी आ जायेगी.आॅनलाइन की सुविधा मिलने से राज्य से बाहर रहनेवाले लोगों को काफी सहूलियत होगी.

पहले रैयतों को अपने स्वामित्व वाली धारित भूमि के बारे में एक फाॅर्म भरकर अपने मौजा से संबंधित शिविर में जाकर जमा करना होता था. कई बार प्रपत्र के खो जाने का खतरा भी पैदा हो जाता था. यही नहीं, उसमें किसी अन्य की तरफ से फेरबदल किये जाने की आशंका रहती थी. लेकिन, अब ऐसा नहीं हो सकेगा.

भूमि के सर्वेक्षण में जमीन का ब्योरा देने के लिए प्रपत्र-2 है. जबकि वंशावली को 2 पृष्ठों के प्रपत्र में भरना है. कुल 22 प्रपत्र हैं. पहला प्रपत्र सर्वेक्षण की अधिघोषणा से है. शेष 20 प्रपत्रों के जरिये चल रहे भूमि सर्वेक्षण का अंतिम प्रकाशन किया जाता है.

फिलहाल विभाग की इस कवायद का महत्व इस बात से है कि ऑनलाइन प्राप्त होने वाली जानकारी को शामिल किये बगैर सर्वे का काम आगे नहीं बढ़ सकता है. ये दोनों काम रैयत ही कर सकता है.

किस रैयत के पास कितनी भूमि है? उसका खाता-खसरा क्या है?, रकवा कितना है? ये तमाम जानकारी कोई रैयत ही उपलब्ध करा सकता है उसी तरह हरेक के पूर्वजों की सबसे बेहतर जानकारी भी संबंधित व्यक्ति को ही हो सकती है. हालांकि, मुखिया, सरपंच या फिर वार्ड सदस्य केवल उसकी पुष्टि भर कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत कुमार के कार्यालय कक्ष में भूमि सर्वे के संबंध में हुई बैठक के दौरान उन्होंने विशेष सर्वेक्षण कार्य में रैयतों से प्राप्त होनेवाली स्वघोषणा और वंशावली की प्रक्रिया को आसान बनाने और स्वघोषणा व वंशावली को आॅनलाइन प्राप्त करने की सुविधा बहाल करने के निर्देश दिये थे.

सर्वे डायरेक्टर जय सिंह ने कहा कि इससे दस्तावेजों को सुरक्षित और संरक्षित रखने में मदद मिलेगी. उल्लेखनीय है कि भूमि सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा है. इसके लिए 20 जिलों के 90 अंचलों में 208 शिविर बनाये गये हैं.

Source-prabhat khabar