मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गंगा किनारे के 12 जिलों के डीएम को बाढ़ को लेकर पूरी तरह अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया है। कहा है कि प्रभावित लोगों से संपर्क बनाए रखें और पूरी संवेदनशीलता के साथ सभी की सहायता करें। गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसलिए वर्ष 2016 में गंगा नदी के किनारे वाले जिलों में बाढ़ के पानी से जो असर हुआ था, उसे ध्यान में रखते हुए इस बार भी पूरी तैयारी रखें। वर्ष 2016 में जब गंगा नदी के जलस्तर में वृद्घि हुई थी, उस दौरान 12 जिलों में बाढ़ से बचाव को लेकर पूरी तैयारी की गई थी।
Also read-बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के डिग्री विभाग में हंगामा, परीक्षा नियंत्रक से बदसलूकी
मुख्यमंत्री ने बुधवार को पटना और आसपास के कई इलाकों में जाकर गंगा के जलस्तर और विभिन्न घाटों की स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद विभिन्न जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद एक अणे मार्ग में जल संसाधन और आपदा प्रबंधन तथा संबंधित 12 जिलों के डीएम के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के साथ समीक्षा बैठक भी की।
बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जल संसाधन विभाग के अधिकारी लगातार तटबंधों एवं नदियों के जलस्तर की निगरानी करते रहें एवं इसमें स्थानीय लोगों की भी सहायता लें। यह भी निर्देश दिया है कि गंगा किनारे जहां भी घनी आबादी है और वहां पानी का रिसाव हो रहा है तो उसे बंद करने का उपाय कराएं। गंगा नदी के जिन घाटों पर ज्यादा पानी आ गया है, वहां पर बैरिकेडिंग कराएं।
राहत शिविर में बच्ची के जन्म पर तत्काल 15 हजार दें
प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को तुरंत सहायता पहुंचाई जाए। विस्थापित लोगों को राहत शिाविरों में एसओपी के अनुसार सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। बाढ़ राहत शिविर में जन्म लेने वाली बच्ची को 15 हजार तथा बच्चे को दस हजार रुपये देने का पूर्व से ही जो प्रावधान किया गया है, उसे लाभार्थियों को तत्काल उपलब्ध कराएं।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि पशु राहत शिविर में पशुओं के चारे की पूरी व्यवस्था रखें। बाढ़ के दौरान जो सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, जल निकासी के बाद तुरंत उसकी मरम्मत कराएं। पथों की स्थिति का प्रतिदिन अपडेट लें। कृषि विभाग तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जिलाधिकारियों से निरंतर संपर्क में रहें।
जल संसाधन विभाग एवं सभी जिलाधिकारी गंगा नदी के साथ-साथ सभी नदियों के जलस्तर का अपडेट लेते रहें और तटबंधों की सतत निगरानी करते रहें। अगर कहीं पर किसी प्रकार की क्षति हो तो वहां राहत एवं बचाव कार्य के लिए तत्काल कदम उठाएं। दियारा और टाल क्षेत्रों पर विशेष निगरानी रखें। सामुदायिक रसोई की भी पूरी तैयारी रखें।
इन क्षेत्रों का लिया जायजा
मुख्यमंत्री ने प्रथम चरण में सड़क मार्ग से पटना के आसपास के गंगा नदी के कई इलाकों तथा विभिन्न घाटों का जायजा लिया। गंगा नदी के दक्षिणी छोर के दीघा घाट, भद्रघाट, कंगन घाट एवं गांधी घाट का जायजा लिया। जेपी सेतु होते हुए सोनपुर एवं हाजीपुर के क्षेत्रों का भी जायजा लिया। दूसरे चरण में गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण दीघा से मोकामा तक, राघोपुर, बख्तियारपुर, पंडारक, बाढ़ से सटे दियारा इलाकों, मोकामा के टाल इलाकों, समस्तीपुर के मोहद्दीनगर, बेगूसराय के बछवाड़ा एवं अन्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया।
12 जिलों की जानकारी दी
बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर एवं कटिहार जिले के जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में गंगा नदी के जलस्तर की स्थिति, प्रभावित जनसंख्या की स्थिति, सामुदायिक रसोई, बाढ़ राहत शिविर एवं राहत कार्यों की जानकारी दी।
बैठक में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस, आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे।
वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, अपर मुख्य सचिव पथ निर्माण अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन एन. विजयलक्ष्मी, सचिव कृषि एन सरवन कुमार, सचिव ग्रामीण कार्य पंकज कुमार पाल सहित अन्य वरीय अधिकारीगण एवं 12 जिलों के जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक जुड़े थे।
Source-hindustan