बिहार के नियोजित शिक्षकों की जाएगी नौकरी, नहीं किया तो..

शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को वर्ष 2006 से 2015 तक बिहार में नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र वेब पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने कहा है कि जिन शिक्षकों के प्रमाणपत्र अभी तक सत्यापित नहीं किए गए हैं, उन्हें अपने प्रमाण पत्र स्वयं पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी और वेतन भी वसूल किया जाएगा।

विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ। रंजीत कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि लगभग एक लाख तीन हजार ऐसे शिक्षकों की सूची पोर्टल पर जारी की जाएगी। उनके प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं किया गया है। शिक्षकों की जिला, ब्लॉक और नियोजन इकाईवार सूची जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा अपलोड की जाएगी। इन शिक्षकों को विभाग द्वारा तय समय सीमा के भीतर सभी आवश्यक प्रमाण पत्र और रोजगार पत्र को पोर्टल पर अपलोड करना होगा। विभाग पोर्टल तैयार कर रहा है और जल्द ही एक प्रमाण पत्र अपलोड करने की तारीख जारी करेगा। गौरतलब हो कि पटना हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी द्वारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। योजना इकाइयां जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। इसे देखते हुए विभाग ने सर्टिफिकेट चेकिंग की वैकल्पिक व्यवस्था की है।

विभाग ने जारी आदेश में कहा है कि प्रमाणपत्र अपलोड नहीं करने पर विचार किया जाएगा कि शिक्षकों को नियुक्ति की वैधता के संबंध में कुछ नहीं कहना है। ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद जिला शिक्षा कार्यालय ऐसे शिक्षकों को संबंधित नियोजन इकाई को सूचित करेगा। नियोजन इकाइयाँ शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगेंगी और उनकी सेवा समाप्त करेंगी और उनसे पहले भुगतान की गई राशि का शुल्क लिया जाएगा।

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पांच साल से अधिक समय से जांच चल रही है

वर्ष 2015 में, निगरानी विभाग को शिक्षक नियोजन में चयनित शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्रों की जाँच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस तरह से यह जांच पांच साल से अधिक समय से चल रही है। प्रत्येक शिक्षक के सभी प्रमाण पत्रों की जांच संबंधित बोर्डों और विश्वविद्यालयों के माध्यम से की जा रही है। इसके लिए बिहार सहित अन्य राज्यों के बोर्डों और विश्वविद्यालयों से भी संपर्क किया गया है। निगरानी विभाग को जांच के दौरान अब तक 1132 फर्जी प्रमाणपत्र मिले हैं। इस मामले में 419 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं। निगरानी का कहना है कि प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण देर हो रही है।

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