आवेदकों की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार तथा रीतिका रानी ने कोर्ट को बताया कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में कॉमर्स शिक्षकों के सैकड़ों स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं। 2011 के बाद कॉमर्स की पढ़ाई के लिए शिक्षकों की बहाली को लेकर कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया, जबकि राज्य सरकार ने इस विषय की पढ़ाई के लिए शिक्षकों की बहाली करने का निर्णय 25 सितंबर 2019 को ही ले लिया था।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कॉमर्स विषय के शिक्षकों की बहाली के लिए परीक्षा नहीं ली गई है। राज्य सरकार की ओर से कॉमर्स शिक्षकों की बहाली के लिए अधियाचना नहीं किये जाने के कारण इस विषय की परीक्षा नहीं ली गई।
राज्य सरकार की ओर से जबाबी हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि कॉमर्स शिक्षकों के 1308 पद रिक्त हैं। एकाउंटेंसी के 724 तथा इंटरप्रेन्योरशिप के 584 पदों का सृजन 2012 में ही किया गया था। सभी पक्षों की दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने सबसे पहले राज्य सरकार को तीन माह के भीतर कॉमर्स शिक्षकों के स्वीकृत पदों को चिह्नित करने का आदेश दिया। उसके बाद इन पदों के लिए छह माह के भीतर एसटीईटी लेने तथा बहाली प्रक्रिया को पूरा करने का आदेश दिया।