डॉक्टर बनने की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए बड़ी खबर, NEET-UG की न्यूनतम आयु सीमा में बदलाव

डॉक्टर बनने की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए बड़ी खबर, NEET-UG की न्यूनतम आयु सीमा में बदलाव

डॉक्टर बनने के इच्छुक युवाओं के लिए यह जरूरी खबर है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) में बैठने के लिए न्यूनतम आयु सीमा में बदलाव किया है।

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31 दिसंबर 2024 तक 17 साल की उम्र पूरी कर चुके छात्र अब यह परीक्षा दे सकेंगे।

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आपको बता दें कि नेशनल मेडिकल कमीशन ने 2 जून को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके मुताबिक 31 जनवरी 2024 तक 17 साल की उम्र पूरी करने वालों को ही नीट के लिए योग्य माना गया था। लेकिन आयोग ने अब उक्त अधिसूचना में संशोधन किया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि नीट-यूजी के टाई-ब्रेकिंग फॉर्मूले में कोई बदलाव नहीं होगा। यह वही रहेगा।

दरअसल, देश भर के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश नीट के आधार पर होता है. इसके अलावा आयुष और वेटरनरी कोर्स में भी प्रवेश नीट के स्कोर के आधार पर होता है। कई बड़े संस्थान भी नीट के आधार पर बीएससी नर्सिंग में एडमिशन देते हैं। ऐसे में हर साल लाखों उम्मीदवार प्रवेश परीक्षा में शामिल होते हैं।

2 जून को जारी नोटिफिकेशन से नीट की तैयारी कर रहे सैकड़ों छात्रों की उम्मीदों को झटका लगा है. 12वीं कर रहे 17 साल से कम उम्र के कई छात्र दौड़ से बाहर हो गए। लेकिन अब वह परीक्षा में शामिल हो सकेंगे और उनका साल भी बर्बाद होने से बचेगा।

टाई-ब्रेकिंग फॉर्मूला वही रहेगा

एनएमसी ने टाई-ब्रेकिंग फॉर्मूले को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की है। पहले के नोटिफिकेशन में फिजिक्स का वेटेज बढ़ाया गया था। कहा गया कि छात्रों के बराबर अंक होने की स्थिति में उनकी रैंक तय करने के लिए सबसे पहले उनके फिजिक्स के अंकों पर विचार किया जाएगा।

इसके बाद केमिस्ट्री और फिर बायोलॉजी के अंकों के आधार पर रैंक निकाली जाएगी। लेकिन अब एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि टाई-ब्रेकिंग की पुरानी व्यवस्था बहाल की जाएगी. यानी पहले बायोलॉजी, फिर केमिस्ट्री और फिर फिजिक्स के मार्क्स के आधार पर रैंक तय होगी।

कोई अंक आवश्यक नहीं है

नीट देने के लिए अंकों की कोई बाध्यता नहीं है। कोई भी छात्र जो फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी/बायोटेक्नोलॉजी और अंग्रेजी के साथ 12वीं पास है, एनईईटी-यूजी के लिए आवेदन कर सकता है। जबकि पहले सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत अंक और एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए 40 प्रतिशत अंक अनिवार्य थे।