स्टेट ब्यूरो, पटना : नालंदा में जहरीली शराब पीने से 12 की मौत के बाद एनडीए घटक दल जदयू और बीजेपी के बीच शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच न्यायालय में शराबबंदी से संबंधित लंबित आवेदनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार शराबबंदी कानून में संशोधन कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक मद्यनिषेध, आबकारी एवं निबंधन विभाग ने इसे लेकर संशोधन प्रस्ताव तैयार किया है. नए संशोधन में शराब पीने के अपराध में पकड़े गए आरोपियों को कुछ राहत दी जा सकती है. शराब पीने के अपराध में उसे जेल भेजने के बजाय मजिस्ट्रेट के समक्ष एक निश्चित जुर्माना अदा करने पर रिहा करने का प्रावधान किया जा सकता है। जुर्माना न देने पर ही उसे जेल भेजा जाएगा।
शराब बनाने और बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई
हालांकि पहले की तरह शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस संशोधन प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री व अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. चर्चा है कि शराबबंदी कानून में संशोधन का प्रस्ताव बजट सत्र में सदन में लाया जा सकता है.
कोर्ट का दबाव कम करने के लिए विभाग ने बनाया संशोधन प्रस्ताव,
बजट सत्र में हो सकता है पेश, कुछ राहत मिलने की उम्मीद
शराब बनाने व बेचने वालों पर पहले की तरह होगी सख्ती
बड़े शराब माफियाओं पर शिकंजा कसा जाएगा
नई व्यवस्था का मकसद कोर्ट में लंबित मुकदमों को कम करना और बड़े शराब माफियाओं और तस्करों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में खड़ा करना है. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 30-40 फीसदी मामले शराब पीने वालों के खिलाफ हैं. इनके चलते शराब तस्करी से जुड़े बड़े मामलों की सुनवाई भी प्रभावित हो रही है. संशोधन के बाद अगर अदालतों में लंबित आवेदनों का दबाव कम होगा तो बड़े शराब माफिया और तस्करों के मामलों की सुनवाई जल्द पूरी होगी. जल्द ही उनका ट्रायल पूरा कर सजा की दर भी बढ़ाई जाएगी।