मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार(bihar) की तर्ज पर केंद्र सरकार(central government) में भी पिछड़ों और अति पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि बिहार में अगली जनगणना जातीय आधार पर होनी चाहिए। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी।
मुख्यमंत्री, बुधवार को जद यू कार्यालय परिसर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इसके पहले उन्होंने बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देते हुए भी जातिगत आधार पर जनगणना के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही थी।
विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में पुराने रोस्टर को बहाल करने के मुद्दे का भी उन्होंने समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि इन दोनों मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक मत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब ऐसे मुद्दे हैं जिन पर समय निकालकर एक साथ सदन में चर्चा करनी चाहिए। यही नहीं सदन का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास जाना चाहिए। जो पहले का प्रावधान है वही रहना चाहिए क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले के बाद अगर विभागवार नियुक्ति का सिलसिला शुरू हुआ तो इसका बहुत बड़ा नुकसान अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों को उठाना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि बिहार में लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां पुराने रोस्टर और पुरानी प्रक्रिया के तहत ही की जा रही हैं।
जातिगत आरक्षण का समर्थन करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि जब तक जाति आधारित जनगणना नहीं होती तब तक पिछड़े या अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के वर्तमान आरक्षण की सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता है।
एक बार जातिगत जनगणना हो जाए तो पूरे देश में एक नियम, एक क़ानून बनाया जाना चाहिए कि आरक्षण आबादी के अनुसार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनारक्षित वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए। यह किसी के आरक्षण में कोई हस्तक्षेप नहीं है। अलग से आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।