पटना। मंत्रिपरिषद की सैद्घांतिक स्वीकृति के बाद प्रदेश के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के 40518 पद सृजित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग से औपचारिक सहमति लेकर इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी है। अब इन प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की औपचारिक प्रक्रिया शुरू होगी।
विशेष तथ्य:-
प्रदेश में पहली बार प्रधानाध्यापकों के पद सृजित किए गए हैं।
– ये पद शिक्षा विभाग के अधीन होंगे। पंचायतों और नगरीय निकायों पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।
– वर्तमान में प्रदेश के 40518 शासकीय प्राथमिक विद्यालयों में से केवल वरिष्ठ शिक्षक ही प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। अभी तक प्रधानाध्यापक का पद अलग से नहीं बनाया गया था।
शासन के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा के अधिकारिक पत्र के अनुसार पंचायत प्राथमिक एवं नगर प्राथमिक शिक्षकों की मूल श्रेणी के स्वीकृत 80703 पदों में से 40518 पदों का प्रत्यर्पण कर प्रधानाध्यापक के समान पद सृजित करने की आवश्यकता है. पंचायती राज संस्था और नगर निगम। अनुमति दी है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्ष 2006 में 2020-21 की अवधि के लिए राज्य के शासकीय प्राथमिक विद्यालयों के लिए 1,65,336 शिक्षक पद सृजित किए गए हैं। इन पदों में से 84,633 पद संबंधित नियोजन इकाइयों को जिलों के माध्यम से नियुक्ति के लिए आवंटित किए गए हैं।
शेष 80703 पद अभी जिलों को आवंटित किए जाने थे। इन पदों पर कार्यरत शिक्षकों के भुगतान हेतु अनुदान की राशि संबंधित पंचायती राज संस्था एवं नगर निकाय को राज्य सरकार द्वारा दी जाती है।
प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में वर्तमान में 40518 प्रधानाध्यापक पद सृजित करने की आवश्यकता है। दरअसल इतने ही प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के पद रिक्त थे। अत: राज्य सरकार के अधीन 80703 पंचायत शिक्षकों/शहरी शिक्षकों के सृजित पद की आवश्यकता के अनुसार जिलों का आवंटन किया जायेगा, जिस पर भविष्य में संबंधित योजना इकाई द्वारा योजनागत कार्यवाही की जा सकेगी.