बैंकों ने कर्ज देने में दिखायी उदारता, बिहार में पहली बार सीडी रेशियो 50 फीसदी के पार पहुंचा

वित्तीय सेवाओं में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यानी कोरोना काल के दौरान राज्य की वित्तीय गतिविधि बढ़ी है और यहां के बाजार में पैसे की आवक ज्यादा हुई है.

बिहार में बैंकों ने कोरोना काल के दौरान कर्ज देने में काफी उदारता दिखायी है. इसी वजह से सूबे के बैंकों का सीडी रेशियो (साख-जमा अनुपात) बढ़कर चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 50.18 प्रतिशत पहुंच गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है. इससे पहले कभी बैंकों का सीडी अनुपात 50 फीसदी से अधिक नहीं हुआ था.

वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान बिहार में यह अनुपात 36.10 था, जो 2020-21 में बढ़कर 41.20 प्रतिशत हो गया. वहीं, देश का सीडी अनुपात 2019-20 में 76.50 प्रतिशत था, जो 2020-21 में घटकर 71.10 प्रतिशत हो गया. इसके अलावा राज्य में सभी तरह की वित्तीय सेवाओं में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यानी कोरोना काल के दौरान राज्य की वित्तीय गतिविधि बढ़ी है और यहां के बाजार में पैसे की आवक ज्यादा हुई है.

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व्यवसाय के साथ ही उद्योग-धंधों के लिए लोन समेत अन्य तरीके से आर्थिक सहायता काफी बढ़ी है. इसी वजह से राज्य के आधारभूत संरचना के क्षेत्र में 14 प्रतिशत, कृषि में 10 फीसदी, उत्पादन में 12 फीसदी और उद्योग में 7.20 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गयी है. वित्तीय सेहत बेहतर रहने की वजह से यहां परिवहन समेत अन्य क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने में करीब आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. लोक प्रशासन के साथ वित्तीय सेवाओं में भी 12 फीसदी की ग्रोथ हुई है.

बैंकों के दिये कर्ज भी कम डूब रहे

राज्य में बैंकों का सीडी रेशियो सुधरने के साथ ही इनके एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेस) में भी गिरावट आयी है. मार्च 2020 में यह 14.90 प्रतिशत था, जो मार्च 2021 में घटकर 11.80 प्रतिशत हो गया. इसका अर्थ है कि राज्य में बैंक जितने पैसे या कर्ज लोगों को दे रहे हैं, उसमें डूबने का प्रतिशत कम हुआ है.