गंभीर बीमारियों के इलाज में वरदान साबित हो रहा आयुष्मान कार्ड, जानें गोल्डेन कार्ड बनाने की अंतिम तिथि

भभुआ: भारत सरकार के माध्यम से वर्ष 2018 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का आयुष्मान भारत कार्यक्रम गंभीर बीमारियों के इलाज में वरदान साबित हो रहा है। फिलवक्त जिले में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर बनाई गई सूची में शामिल लोगों को आयुष्मान का लाभ दिलवाने के लिए गोल्डेन कार्ड बनाने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जो 31 मार्च तक चलेगा।

गरीबी में आयुष्मान भारत वरदान से कम नहीं

बीते पखवाड़ा में सीजेरियन आपरेशन से प्रसव कराने वाली महिला नगर की रजीबा बेगम की माने तो गरीबी में उनके लिए आयुष्मान भारत वरदान से कम नहीं है। वहीं अधौरा निवासी कृष्णा यादव की माने तो पैसा के अभाव में अपने हाइड्रोसील का आपरेशन नहीं करा पा रहे थे। लेकिन आयुष्मान ने उनकी परेशानी दूर कर दी तथा वे आपरेशन करा कर स्वस्थ जीवन यापन कर रहे हैं। आयुष्मान का लाभ सरकारी व संबद्ध निजी अस्पतालों में भी उपलब्ध है।

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क्या है लक्ष्य कितने का बना गोल्डेन कार्ड

जिले में कोरोना महामारी के चलते लगभग ठप पड़े गाेल्डेन कार्ड बनाने के कार्य के बावजूद निर्धारित एक लाख 22 हजार 123 परिवार की तुलना में 54,588 परिवारों के गोल्डेन कार्ड बनाए जा चुके हैं जो लक्ष्य का लगभग 50 फीसदी पहुंचा है। द्वितीय चरण के कार्यक्रम में कुल लाभुक सात लाख 3,153 के सापेक्ष अब तक एक लाख आठ हजार 244 लोगों के गोल्डेन कार्ड बनाए गए हैं।

आयुष्मान में कितनों का कहां हुआ इलाज

विभाग से मिली सूचना के अनुसार जिले के कुल 6567 लोगों ने योजना का लाभ उठाते हुए अपना इलाज कराया है। इसमें से 4585 ने निजी व 1982 ने सरकारी अस्पतालों में अब तक इलाज कराया है।

क्या कहते हैं अधिकारी

आयुष्मान भारत कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनीष देव ने बताया कि आयुष्मान आप के द्वार कार्यक्रम को गति देने के लिए सरकारी अस्पतालों सहित पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी, कामन सर्विस सेंटर के माध्यम से यूटीआइआइटी एसएल के द्वारा गोल्डेन कार्ड बनाने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है।