बिहार में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक सख्ती जरूरी

पटना। बिहार में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बाद भी यदि अधिसंख्य लोग लापरवाह बने हुए हैं तो यह चिंता की बात है। तमाम लोग शारीरिक दूरी का पालन करने, नियमित मास्क लगाने और अंजान सतह छूने के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत लगभग छोड़ चुके हैं। बाजारों, दफ्तरों, धार्मिक व सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिदिन दिखने वाला यह दृश्य संक्रमण के लिहाज से खतरनाक है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक सख्ती जरूरी प्रतीत हो रही है।

संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करने, टीकाकरण अभियान को तेज करने के साथ ही जरूरत के हिसाब से कुछ पाबंदियां लगानी होंगी। यह समय सतर्क रहते हुए बचाव के सभी नियमों का सख्ती से पालन करने और कराने का है। इसमें किसी भी स्तर पर कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। कोरोना की तीसरी लहर के स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं। इसके खतरे को कम करने के लिए आरटीपीसीआर जांच के साथ ही रैपिड एंटीजन टेस्ट भी बढ़ाने होंगे। इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों समेत सभी डिस्पेंसरियों को रैपिड एंटीजन टेस्ट करने की इजाजत दी जानी चाहिए। घनी आबादी वाले मुहल्लों में इस टेस्ट के लिए अस्थायी कैंप लगाए जा सकते हैं। घर में ही कोरोना जांच करने वाली कुछ किट को भी मान्यता दी गई है। इन किट को पर्याप्त मात्र में खरीदने की जरूरत है।

मानकों के आधार पर कंटेनमेंट जोन और बफर जोन बनाने की भी जरूरत है। साथ ही जिला स्तर पर आवश्यक दवाओं और आक्सीजन का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। देखा जाए तो कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अब भी सबसे संक्रामक और खतरनाक वैरिएंट डेल्टा ही बना हुआ है। इसे लेकर सरकार अपने स्तर से सजग-सक्रिय है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। अस्पतालों को 24 घंटे आइसीयू बेड तैयार रखने एवं आक्सीजन आपूर्ति की सुविधाओं के साथ अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया गया है। यह संतोषजनक है, लेकिन इसके साथ निजी अस्पतालों को भी तैयार रहना चाहिए।

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