16 करोड़ के इंजेक्शन के इंतजार में बिहार के दस माह के बच्चे के घर में गूंजने का मामला

पटना : 10 माह के बच्चे अयांश सिंह को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित होने का मामला शुक्रवार को विधान परिषद में उठा। विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा सदस्य संजय प्रकाश ने यह मामला उठाया। संजय प्रकाश ने कहा कि अयांश एक ऐसी दुर्लभ बीमारी का शिकार है, जो दुनिया में सिर्फ एक या दो लोगों को ही होती है।

इस बच्चे के इलाज के लिए दुनिया के सबसे महंगे 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की जरूरत है। इस मामले में राज्य सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। नवल किशोर यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने भी लोगों के इलाज में मदद करने का प्रावधान किया है। सरकार को इस मामले में पीड़ित परिवार की भी मदद करनी चाहिए। कार्यकारी अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि सरकार मामले को देखेगी।

माँ से मदद की गुहार

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रोहतास जिले के इंद्रपुरी थाना क्षेत्र के पटनावन की रहने वाली नेहा सिंह ने बताया कि उसके बच्चे को डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाने के लिए कहा है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है। यह इंजेक्शन एक अमेरिकी कंपनी ने ही बनाया है। कीमत मिलने के बाद इसे अस्पताल में उपलब्ध कराया जाता है। अयांश ने कहा कि अपनी सारी जमीन और संपत्ति बेचने के बाद भी अगर मैं इतनी रकम जुटा पाता तो मांग लेता। अब कोई फरिश्ता या सरकार ही मेरे बेटे की जान बचा सकती है। अब दस महीने का अयांश नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस, बैंगलोर में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। उनकी जान बचाने का एक ही तरीका है कि उन्हें 16 करोड़ का यूएस-निर्मित जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन दिया जाए।

पीएम मोदी और नीतीश को लिखी चिट्ठी

नेहा बताती हैं कि अयांश दो महीने की उम्र तक स्वस्थ थीं। इसके बाद हाथ-पैर हिलना बंद हो गए। कई जगह इलाज किया। कहीं ठीक नहीं। डॉक्टरों की सलाह पर उसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस, बैंगलोर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने छह महीने के इलाज के बाद स्पाइन मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 बीमारी बताई है. एकमात्र उपचार ज़ोलगेन्स्मा इंजेक्शन है। अयांश के पिता आलोक कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा देश के प्रमुख उद्योगपतियों, सामाजिक संस्थाओं को एक इंजेक्शन लगाने के लिए पत्र लिखा है।

स्पाइन मस्कुलर एट्रोफी क्या है एक बीमारी टाइप करें

स्पाइन मस्कुलर एट्रोफी टाइप एक आनुवंशिक बीमारी है जिसमें नसें काम करना बंद कर देती हैं। सारा शरीर सुन्न हो जाता है। यह रोग एक लाख लोगों में से एक में होता है। दो साल के भीतर इलाज न कराने पर यह घातक है। NIMHANS की डॉक्टरों की टीम डॉ. नीलिमा ए, डॉ. रवि यादव, डॉ. रविंद्र नाथ सीएम, डॉ. सीमा वेंगलिल और डॉ. फहीम अरशद ने अयांश में स्पाइन मस्कुलर एट्रोफी टाइप ए बीमारी घोषित की और केवल जिनेथेरेपी यानी जोल्गेन्स्मा नाम के इंजेक्शन से फायदा हुआ। कहा जाता है। डॉक्टरों की टीम ने अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने का खर्च 16 करोड़ रुपये बताया है।