पटना. बचपन से देखता आ रहा हूं सर…कुछ सीखने का मौका भी नहीं मिला. मैं रोज सुबह जब उठता तो देखता था कि घर के आसपास सैकड़ों लोग लैपटॉप लेकर बैठे हैं. दिन ही नहीं, बल्कि रात भर दूर-दूर खेतों में लैपटॉप की चमक आती रहती और लोग मोबाइल पर बात करते रहते. जो जहां है वहीं पर उसके परिवार वाले खाना पहुंचा रहे हैं. ये बातें पत्रकार नगर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार साइबर शातिर कुंदन कुमार ने पुलिस को बताया.
कुंदन मूल रूप से नालंदा के बिहारशरीफ स्थित मुड़ौरा डीह का रहने वाला है और फिलहाल जेल में है. उसने बताया कि जब मैं कतरीसराय में साइबर फ्रॉड की ट्रेनिंग ले रहा था और सरगना चंदन कुमार मुझे ट्रेनिंग दे रहा था तो उस दौरान सैकड़ों लोग लैपटॉप पर ठगी करते दिखे. सभी की उम्र 20 से 30 साल की. मालूम हो कि पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के केंद्रीय विद्यालय रोड के पास से पांच साइबर फ्रॉड को गिरफ्तार किया था.
जो सबसे ज्यादा करता ठगी, वहीं बनता सरगना==उसने पुलिस को बातचीत के दौरान कुछ ऐसी बातें बतायीं, जिससे पुलिस भी दंग रह गयी. साइबर फ्रॉड का सेंटर जामताड़ा के बारे में तो सभी ने सुना होगा और देश के अलग-अलग राज्यों ने वहां से साइबर फ्रॉड को गिरफ्तार भी किया है. लेकिन कतरीसराय के बारे में जब कुंदन ने कहा कि वह साइबर फ्रॉड की दुनिया है. बताया कि जो ट्रेनिंग ले रहे होते हैं उसे छोटे-छोटे अमाउंट वाले नंबर दिये जाते हैं और वहीं जो माहिर हो चुके होते हैं वह लाखों की ठगी में लगे रहते हैं. जिस जगह पर मेरी ट्रेनिंग हो रही थी वहां अलग-अलग गिरोह था. गिरोह में भी जो सबसे ज्यादा ठगी करता था उसी को सरगना बना दिया जाता है.
फर्जी साइट बनाने में माहिर हैं साइबर ठग==पूछताछ में कुंदन ने बताया कि साइबर ठगों में कुछ लोगों को केवल फर्जी वेबसाइट, फेसबुक आइडी, इंस्टा आइडी समेत अन्य सोशल आइडी बनाने के लिए लगाया जाता है. यही नहीं इसके अलावे कुछ लोग केवल सोशल मीडिया पर नजर रखे रहते थे कि कोई अपनी परेशानी सोशल मीडिया पर शेयर तो नहीं किया अगर किया तो उसके नंबर को पता करने में जुट जाते हैं. फर्जी सोशल आइडी से उसी से नंबर मांग लेते और कॉल कर उसे ठगी का शिकार बनाते.
सिम और मोबाइल नंबर लाने वाले होते हैं बाहरी==साइबर शातिरों में सिम और मोबाइल नंबर लाने वाले वहां नहीं रहते हैं. वह बाहर से आते थे और हर दिन मोबाइल नंबर और सिम बांट कर चले जाते हैं. थानाध्यक्ष मनोरंजन भारती ने बताया कि सरगना चंदन कुमार अब भी फरार चल रहा है. उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. ये नंबर कहां से आते थे ये तो मुझे नहीं पता लेकिन हर दिन एटीएम, पासबुक व चेकबुक वहां आ जाते थे.
दूसरे राज्यों के लोगों का भी पूरा डिटेल रखते हैं==सबसे बड़ी बात कि एक जगह बैठे-बैठे लोगों के नाम पता और डिटेल निकालने के लिए हर गिरोह अपने पास कॉन्टैक्ट डायरेक्टरी रखते हैं. केवल बिहार के ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के भी. ये बातें इस चीज से सत्य होती हैं कि बिहार के साइबर ठगों द्वारा देश के कई राज्यों में लोगों के खातों से पैसों की निकासी हो चुकी है.
Source Prabhat khabar