केके पाठक ने आंख मूंदकर विश्वविद्यालयों को नहीं देंगे पैसे, बजट की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक

केके पाठक ने आंख मूंदकर विश्वविद्यालयों को नहीं देंगे पैसे, बजट की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक

केके पाठक ने कहा कि अब आंख मूंदकर विश्वविद्यालयों को पैसा नहीं दिया जाएगा।शिक्षा विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए विश्वविद्यालयों के बजट को मंजूरी देने की कार्रवाई से पहले इसकी समीक्षा करने का निर्णय लिया है।

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इसको लेकर विभाग 29 मई तक विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रस्तावित बजट की समीक्षा करेगा। इसके बाद ही वेतन-पेंशन की राशि जारी की जाएगी। कोर्ट के आदेश पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत विभिन्न पदाधिकारियों के वेतन पर लगी रोक भी हटा दी है, लेकिन खातों पर लगी रोक हटने के बाद भी राशि के अभाव में वेतन-पेंशन नहीं मिल पाएगा।

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वित्त विभाग से ली जाएगी मंजूरी

विभाग सभी विश्वविद्यालयों द्वारा भेजे गए प्रस्तावित बजट की समीक्षा कर उसे अंतिम रूप देगा। इसके बाद इस बजट पर वित्त विभाग की मंजूरी ली जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि वित्त विभाग से बजट स्वीकृत होने के बाद ही विश्वविद्यालयों को राशि भेजी जाएगी। विभाग ने बजट की समीक्षा के लिए विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत अन्य पदाधिकारियों को अलग-अलग दिन विभागीय सभागार में बुलाया है। 15 मई को केएसडीएस दरभंगा और अरबी-फारसी विवि की बैठक होगी। इसी तरह 16 को पूर्णिया और मुंगेर विवि, 21 को मधेपुरा और मगध, 22 को वीर कुंवर सिंह और तिलकामांझी भागलपुर, 24 को बीआरए मुजफ्फरपुर और पटना, 28 को पाटलिपुत्र और जयप्रकाश विवि छपरा तथा 29 मई को ललित नारायण मिथिला विवि दरभंगा की बैठक होगी।

फरवरी से नहीं मिला है वेतन

जानकारी के अनुसार बिहार के अधिकांश विश्वविद्यालयों में फरवरी से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। विभाग के इस फैसले के बाद विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। बताया जाता है कि फरवरी 2024 के बाद शिक्षा विभाग की ओर से वेतन और पेंशन मद में विश्वविद्यालयों को कोई राशि नहीं भेजी गई है। वहीं दूसरी ओर विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी हैं, जिन्हें जनवरी से वेतन नहीं मिला है। बिहार में करीब 15 हजार शिक्षकों और कर्मियों को पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। इन लोगों को वेतन कब मिलेगा, इस बारे में विभाग या विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।