फूट-फूटकर रोने लगे बच्चे, बोले- मत जाइए स्टूटी वाली मैडम, गांववाले भी हुए गमगीन!

फूट-फूटकर रोने लगे बच्चे, बोले- मत जाइए स्टूटी वाली मैडम, गांववाले भी हुए गमगीन!

महज सात महीने में एक शिक्षिका ने बच्चों के दिल में ऐसी जगह बना ली कि उनके ट्रांसफर होने पर बच्चों ने उन्हें रोकर विदा किया. मामला तुरकौलिया के नव सृजित प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुर का है

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दरअसल, शिक्षा विभाग के निदेशक ने आदेश दिया कि सभी शिक्षकों का प्रतिनियोजंन रद्द कर दिया गया और कहा गया कि प्रतिनियोजित शिक्षक अपने मूल विद्यालय में चले जाएं. इसमें संगीता में शामिल हैं. जब वह शुक्रवार की स्कूल से अपने मूल विद्यालय में जाने के लिए चलीं तो लक्ष्मीपुर स्कूल के बच्चे और अभिभावक गमगीन हो गए और सभी रोने लगे.

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इस दौरान शिक्षिका संगीता भी भावविह्वल हो गईं. बच्चों को झूठा आश्वासन दिया कि गर्मी की छुट्टी हो रही है, उसके बाद फिर आ जाएंगे. पूछने पर शिक्षिका ने बताया कि स्कूल के बच्चों को उन्होंने अपने बच्चे जैसा व्यवहार कर पढ़ाया है. हेडमास्टर सुनील कुमार ने कहा कि संगीता मैडम के आने से शैक्षणिक विकास हुआ है.

अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र लक्ष्मीपुर में उक्त स्कूल अवस्थित है. स्कूल में बच्चों की संख्या करीब दो सौ है. जहां एक ही शिक्षक सुनील कुमार पदस्थापित है. बच्चों संख्या देख पिछले नवंबर माह में बीईओ आशा कुमारी ने शिक्षिका संगीता कुमारी का प्रतिनियोजन वहा कर दिया. बच्चों को प्यार देकर संगीता इस तरह से पढ़ाने लगी कि बच्चों के साथ उक्त बस्ती के सभी बुजुर्ग और महिलाओं की दुलारी बिटिया बन गईं. सभी उन्हें स्कूटी वाली मैडम से पुकारने लगे.

दरअसल, वह स्कूटी से स्कूल आती थीं. बस्ती के बच्चों को बहुत कम समय में शैक्षणिक विकास कर शिक्षिका संगीता इलाके में चर्चित हो गईं. किसी दिन बीमार होने पर जब स्कूल में संगीता नहीं आतीं तो ग्रामीण स्कूल में पहुंच हेडमास्टर सुनील कुमार से पूछते कि स्कूटी वाली मैडम नहीं आई है, क्या हुआ है. जब वे सुनते की वह बीमार हैं, तो उन्हें काफी दुख होता. गांव के मंदिर में उन्हे जल्द स्वस्थ्य होने के लिए ग्रामीण माथा टेकते थे.