बिहार में मौसम एक बार फिर अपना तेवर दिखाने लगी है. आसमान का पारा एक बार फिर चढ़ गया है. रात में उमस तो सुबह तेज धूप से लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. कहने को बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून सक्रिय हो चुका है. कई हिस्सों में बारिश रिकॉर्ड की गयी है. शुरुआती दौर में कई क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई, लेकिन उसके बाद बारिश की रफ्तार में कमी आयी है. मौसम विभाग की मानें तो जुलाई में कम बारिश होगी. इससे किसानों की चिंताएं भी बढ़ गयी हैं.
बारिश की संभावना नहीं
इधर, बादलों के गायब होने और बारिश के थमने के साथ ही तेज धूप ने एक बार फिर से असर दिखाना शुरू कर दिया है. सुबह से ही तेज धूप होने की वजह से बिहार के करीब सभी हिस्सों के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गयी है. तपिश बढ़ने से लोगों की परेशानियां फिर से बढ़ने लगी हैं. पसीने वाली गर्मी एक बार फिर से सामान्य जनजीवन को प्रभावित करने लगा है. मौसम विभाग ने फिलहाली मूसलाधार बारिश की संभावना नहीं जताई है. ऐसे में तापमान में और वृद्धि होने के आसार हैं.
सुबह से ही तेज धूप से लोग बेहाल
बिहार में फिर से गर्मी का प्रकोप बढ़ने लगा है. अधितर क्षेत्रों में बारिश न होने और तेज धूप निकलने की वजह से पारा ऊपर चढ़ने लगा है. मौसम विभाग के अनुसार, बिहार में 5 जुलाई को औसत अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया. तापमान में वृद्धि होने से एक फिर से लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है. पुरबाई हवा के कारण पसीने वाली गर्मी का असर बढ़ने लगा है. हालात ऐसे हो गये हैं कि सुबह से ही सूर्य चमकने लगता है और तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से पार पहुंच जाता है. दोपहर होते-होते गर्मी का प्रकोप और बढ़ जाता है, ऐसे में लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है.
अच्छी बारिश के आसार कम
मौसम विभाग के ताजा अपडेट के अनुसार, बिहार में फिलहाल अच्छी बारिश के आसार कम हैं. आगामी 9 जुलाई तक बिहार में कहीं-कहीं बारिश होने की संभावना है. इस अवधि के दौरान मूसलाधार बारिश की संभावना न के बराबर है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए बिहार में फिलहाल बारिश की संभावना कम ही है. ऐसे में आने वाले दिनों में लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल इससे राहत मिलने की संभावना नहीं है.
नेपाल में बारिश में नदियों में उफान
हाल के दिनों में मूसलाधार बारिश न होने के बावजूद बिहार के कुछ जिले बाढ़ की चपेट में हैं. नेपाल के तराई वाले इलाकों में मूसलाधार बारिश के कारण प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से होकर गुजरने वाली छोटी-बड़ी नदियां उफना गईं. इससे सीमांचल के इलाकों में बाढ़ की समस्या गहरा गई. पूर्णिया, अररिया, किशनगंज जैसे जिलों में नदियों का पानी रिहायशी क्षेत्रों में घुस गया. तेज कटाव के कारण लोगों के घर और जमीनें भी नदी में समा गईं.