मुर्मू अगस्त 2021 में झारखंड के राज्यपाल पद से रिटायर होने के बाद ओडिशा के रायरंगपुर लौटी थीं और तब से मंदिर में झाडू लगाना उनकी दिनचर्या में शामिल है और बुधवार का दिन भी इससे अलग नहीं था।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। द्रौपदी मुर्मू के उम्मीदवारी के ऐलान के साथ ही हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं।
दौपदी मुर्मू के जीवन में एक समय ऐसा आया था जब उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। मात्र छह साल के समय में उन्होंने अपने पति और बेटों समेत छह परिजनों को खो दिया था।
द्रौपदी मुर्मू का आध्यात्मिक से गहरा लगाव है। मुर्मू का ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान से भी गहरा लगाव है। दौपदी मुर्मू के जीवन में उस समय उथल-पुछल मच गई जब साल 2009-2015 के बीच मात्र छह सालों में उन्होंने अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया। निर्वाचित होने पर 64 साल की द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी।
शिवमंदिर में लगाया झाड़ू…राजग की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू ने दिल्ली के अपने सफर से पहले बुधवार को ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी बहुल अपने कस्बे में स्थित शिवमंदिर में सुबह सूर्योदय से पहले झाडू लगाई जो उनकी नियमित दिनचर्या का हिस्सा है। 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद सुर्खियों में आईं मुर्मू भगवान जगन्नाथ, शिव और हनुमान मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कीं।
1997 में पार्षद बनीं थीं…कालाहांडी से सांसद और बीजेपी नेता बसंत कुमार पांडा ने कहा, वह गहरी आध्यात्मिक और मृदुभाषी हैं। मुर्मू के राजनीतिक करियर की बात करें तो रायरंगपुर से ही उन्होंने बीजेपी की सीढ़ी पर पहला कदम रखा था। वह 1997 में रायरंगपुर अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद थीं और 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं।
बीजद-बीजेपी सरकार में मंत्री रहीं…साल 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं। 2105 में, उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं। 20 जून 1958 को जन्मीं मुर्मू राज्य की पहली महिला राज्यपाल थीं।