पटना एम्‍स में आपरेशन के बाद महिला डाक्‍टर की हालत गंभीर, पूरा मामला जानकर आप भी होंगे परेशान

पटना। मरीज आखिर इलाज कराने जाएं तो कहां, यह सवाल पहले एनएमसीएच और अब पटना एम्‍स में हुई घटना के बाद खड़ा हो रहा है। दोनों ही अस्‍पताल प्रत‍िष्‍ठ‍ित हैं, लेकिन यहां जिस तरह की लापरवाही का आरोप मरीजों के स्‍वजन लगा रहे हैं, उसके बाद तो हर किसी की चिंता बढ़ जाएगी।

पटना के बड़े सरकारी मेडिकल कालेज एनएमसीएच में पिछले दिनों सामान्‍य प्रसव के बाद एक महिला की मौत हो गई थी। इस मामले में परिवार ने डाक्‍टर पर लापरवाही का आरोप लगाया तो अस्‍पताल प्रशासन ने व्‍यवस्‍था में कई तरह के बदलाव करने की बात कही। अब पटना एम्‍स में तो सरकारी डाक्‍टर के इलाज में ही लापरवाही की शिकायत सामने आ गई है।

पटना एम्‍स में खुद भी सेवा दे चुकी हैं पीड़‍ित डाक्‍टर :- बताया जा रहा है कि पटना एम्स में आपरेशन के दौरान बच्चेदानी और पेशाब की थैली के बीच काटन फंसने की वजह से पीडि़त की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है। मरीज डा. पूजा पटना एम्स के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं।

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

फिलहाल वे मसौढ़ी में चिकित्सा पदाधिकारी हैं। मरीज के परिजनों ने मामले में एफआइआर करने की बात भी कही है। वहीं एम्स प्रशासन ने जिला प्रशासन से प्रसूति विभाग में हुए हंगामे के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

पीडि़ता डाक्टर की स्थिति गंभीर :- कुछ दिन पूर्व एम्स के स्त्री एवं प्रसूति विभाग में उपचार के दौरान काटन बच्चेदानी और पेशाब की थैली के बीच फंसने से पीडि़ता डा. पूजा की स्थिति गंभीर हो गई है। परिजनों ने बताया कि गलत आपरेशन को लेकर एम्स प्रशासन से शिकायत की गई है। जल्द ही मामले में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय से भी मामले को लेकर शिकायत की जाएगी।

वहीं

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रशासन ने शुक्रवार को एम्स स्त्री एवं प्रसूति विभाग के ओपीडी में हुए हंगामे को गंभीरता से लिया है। एम्स के प्रशासनिक अधिकारी सतीश कुमार सिंह ने बताया कि मामले में प्रशासन से कार्रवाई का आग्रह किया गया है। वहीं मरीज के परिजनों ने एम्स के चिकित्सकों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

बताया गया कि एक मरीज व उनके परिजनों ने डाक्टर के चैंबर में जाकर हंगामा किया था। इससे ओपीडी में कामकाज प्रभावित हुआ। डाक्टर व कर्मचारियों से दुर्व्‍यवहार किया गया। मरीज को यदि कोई शिकायत थी तो संबंधित अधिकारी से बात करनी चाहिए थी। उन्हें कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए था।