Big Politics On Cast Sensus: जातिगत जनगणना का स्वरूप तय करने को ले सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें मुकेश सहनी चिराग पासवान और पशुपति पारस को इसमें नहीं बलाया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में बैठक हुई।
Caste Census in Bihar: बिहार में राज्य सरकार के अपने संसाधन पर जातिगत जनगणना कराए जाने का स्वरूप तय करने को ले बुधवार को सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में शाम में हुई। दिलचस्प बात यह है कि इस बैठक में केवल उन्हीं दलों को बुलाया गया, जिनका विधानसभा या विधान मंडल में प्रतिनिधित्व है। चिराग पासवान, उनके चाचा पशुपति पारस और मुकेश सहनी को इस बैठक के लिए निमंत्रण नहीं मिला। सरकार की ओर से इसकी वजह भी बताई गई ।
बैठक में बुलाए जाने के लिए सरकार ने बनाया ये आधार…जाति आधारित जनगणना पर फैसला लेने के लिए बुलाई गई बैठक में निमंत्रित करने के लिए सरकार ने विधानसभा में प्रतिनिधित्व को आधार बनाया है। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का विधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं है। हालांकि, मुकेश सहनी और पशुपति पारस की पार्टी का विधान परिषद में प्रतिनिधित्व है। बुधवार को हुई बैठक में भाजपा, राजद, जदयू, कांग्रेस, वाम दलों, हम और एआइएमआइएम को निमंत्रण दिया गया। बैठक में भाजपा की तरफ से उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद, राजद से तेजस्वी यादव सहित तमाम दलों के बड़े नेता मौजूद रहे। इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की।
केंद्र के इन्कार के बाद अपने संसाधन से जातिगत जनगणना का निर्णय…पिछले वर्ष 23 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार से 10 लोगों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की थी। जनगणना के साथ ही जातिगत जनगणना कराए जाने की बात कही गई थी। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव व भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में राज्य सरकार में खान एवं भू-तत्व मंत्री जनक राम भी शामिल थे। कांग्रेस सहित सभी वाम दलों व एआइएमआइएम का प्रतिनिधित्व था।
केंद्र सरकार के इनकार के बाद बिहार सरकार ने बढ़ाए कदम …प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बात को गंभीरता से सुना था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार की ओर से यह कहा गया कि जातिगत जनगणना संभव नहीं है। केंद्र के इनकार के बाद राज्य सरकार ने अपने संसाधन से जातिगत जनगणना कराए जाने का निर्णय लिया। संपूर्ण विपक्ष भी इस पर सहमत है।
जदयू के सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री से भेंट की थी ..पिछले वर्ष तीन अगस्त को जदयू के सांसदों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की थी।
बिहार विधानसभा ने दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव को दी है मंजूरी…जातिगत जनगणना कराए जाने को लेकर बिहार विधानसभा ने वर्ष 2019 तथा 2020 में सर्वसम्मति से इस आशय के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी। भाजपा ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
जातिगत जनगणना का स्वरूप रहे, इस पर चर्चा …सर्वदलीय बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि जातिगत जनगणना का स्वरूप क्या होगा। इस बारे में सभी दलों की राय व सुझाव लिए गए।
स्वरूप तय होने के बाद कैबिनेट की मंजूरी को जाएगा प्रस्ताव…सर्वदलीय बैठक में जातिगत जनगणना का स्वरूप तय होने के बाद कैबिनेट की स्वीकृति के लिए यह प्रस्ताव जाएगा। बाद में इससे जुड़े प्रविधान तय होंगे।