भारत के वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र में मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। मौसम कार्यालय ने मंगलवार को कहा कि इस बार बंपर कृषि उत्पादन और मुद्रास्फीति धीमी पड़ने की उम्मीद है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस मानसून में औसत बारिश लंबी अवधि के औसत का 103 फीसदी रहने की उम्मीद है। अप्रैल में आईएमडी ने कहा था कि देश में सामान्य बारिश होगी।
लगातार चौथे साल भारत में सामान्य मानसून : महापात्र ने कहा कि मॉनसून कोर जोन- गुजरात से लेकर ओडिशा तक के राज्य जो कृषि के लिए वर्षा पर निर्भर हैं, वहां लंबी अवधि के औसत के 106 प्रतिशत से अधिक सामान्य वर्षा हो सकती है। उन्होंने कहा कि मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जबकि उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में सामान्य बारिश होने की संभावना है।
यह लगातार चौथा साल है जब भारत में सामान्य मानसून की संभावना है। इससे पहले भारत में 2005-08 और 2010-13 में सामान्य मानसून देखा गया था। महापात्र ने कहा कि निकट भविष्य में भारत में सामान्य मानसून देखने को मिल सकता है क्योंकि सामान्य से कम बारिश का दशक समाप्त होने वाला है। उन्होंने कहा कि हम अब सामान्य मानसून युग की ओर बढ़ रहे हैं।
केरल में मानसून की शुरुआत की जल्दबाजी की घोषणा के लिए हो रही आईएमडी की आलोचना को लेकर महापात्र ने कहा कि मौसम कार्यालय ने मानसून की शुरुआत और प्रगति की घोषणा करने के लिए एक वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि केरल के 70 प्रतिशत मौसम केंद्रों ने काफी व्यापक वर्षा की सूचना दी थी और क्षेत्र में तेज पछुआ हवाओं और बादलों के गठन से संबंधित अन्य मापदंडों को पूरा किया गया था।
महापात्र ने कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र को ठंडा करने वाली मौजूदा ला नीना स्थितियां अगस्त तक जारी रहने की उम्मीद है और भारत में मानसून की बारिश के लिए शुभ संकेत है। महापात्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में जून में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है।