टेक डेस्क। भारत में एक तरफ डिजिटल इंडिया पर जोर दिया जा रहा है। दूसरी तरफ टेलिकॉम कंपनियों की मनमानी डिजिटल इंडिया की राह में रोड़ा बनकर खड़ी हो रही हैं।
टेलिकॉम कंपनियां अपने हिसाब से मनमाना चार्ज वसूलती है। साथ ही एक माह के रिचार्ज के नाम पर 30 या फिर 31 दिनों की जगह 28 दिनों की वैधता ऑफर कर रही हैं। जबकि टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की तरफ से इस मामले में टेलिकॉम कंपनियों पर नरमी बरती जा रही है।
एक माह में 28 दिनों की वैधता क्यों?
दरअसल पिछले साल दिसंबर में ही टेलिकॉम कंपनियों जैसे रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन-आइडिया (Vi) जैसी कंपनियों ने अपने प्री-पेड रिचार्ज प्लान की कीमतों में इजाफा किया था। उस वक्त एक माह में 28 दिनों की जगह 30 और 31 दिनों की वैधता देने का मामला उठा था।
लेकिन ट्राई ने मामले के समाधान के लिए कहा कि सभी टेलिकॉम कंपनियों को कम से कम एक ऐसा रिचार्ज प्लान पेश किया जाना चाहिए, जो 30 या फिर 31 दिनों की वैधता के साथ आता है। लेकिन सवाल उठता है कि बाकी देशों की तरह भारत में टेलिकॉम कंपनियां क्यों 30 या 31 दिनों की जगह एक माह में 28 दिनों की वैधता ऑफर करती हैं।
क्या भारत में उपलब्ध है सबसे सस्ता डेटा
टेलिकॉम कंपनियां एक तरह दावा करती हैं कि भारत में दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले सबसे सस्ती दर पर मोबाइल इंटरनेट डेटा उपलब्ध है। जबकि दूसरी तरह एक माह के रिचार्ज में 28 दिनों की वैधता ऑफर कर रही हैं। ऐसा करके टेलिकॉम कंपनियां एक साल में 12 माह की जगह ग्राहकों से 13 माह का रिचार्ज कराती हैं। वहीं टेलिकॉम कंपनियों की तरफ से जो एक सिंगल 31 दनों की वैधता वाला प्लान ऑफर किया जाता है, उसकी कीमत 28 दिनों की वैधता वाले प्लान से ज्यादा है। जबकि बाकी बेनिफिट्स 28 दिनों की वैधता वाले प्लान की तरह ही हैं।