महँगाई की मार..!143 जरूरी चीजों के बढ़ सकते हैं दाम, GST काउंसिल ने राज्यों से मांगे विचार, जानिए डिटेल्स में…

GST latest news: अगले महीने माल और सेवा कर यानी जीएसटी (GST) काउंसिल की बैठक होने जा रही है। यह बैठक हर मामले में बेहद खास माना जा रहा है। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार जीएसटी की दरों में बदलाव कर सकती है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने करीब 143 वस्तुओं पर दरों में बढ़ोतरी के लिए राज्यों के विचार मांगे हैं। इससे सरकार को रेवेन्यू जेनरेट करने में मदद मिलेगी और अन्य राज्यों को मुआवजे के लिए केंद्र पर निर्भर नहीं पड़ेगा।

वर्तमान में ये वस्तुएं 18% टैक्स स्लैब में हैं
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 143 चीजों पर जीएसटी की दरें बढ़ाई जाने की बात चल रही है,  उनमें से अधिकांश वर्तमान में 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आते हैं। इन 143 वस्तुओं में से 92%  को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब से  बढ़ाकर 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव है।

इन वस्तुओं के बढ़ सकते हैं दाम
सूत्रों के मुताबिक, जिन वस्तुओं की जीएसटी दरें बढ़ाई जा सकती हैं उनमें पापड़, गुड़, पावर बैंक, घड़ियां, सूटकेस, हैंडबैग, परफ्यूम, कलर टीवी सेट (32 इंच से कम), चॉकलेट, च्युइंगम, अखरोट, कस्टर्ड पाउडर, नॉन एल्कोहोलिक बेवरेज, सिरेमिक सिंक वॉश बेसिन, काले चश्मे, चश्मे के लिए फ्रेम और चमड़े के अपैरल और कपड़ों के सामान शामिल हैं।

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पापड़ और गुड़ (गुड़) जैसी वस्तुओं पर  जीएसटी दरें शून्य से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है। चमड़े के  अपैरल और सहायक उपकरण, कलाई घड़ी, रेज़र, परफ्यूम, प्री-शेव/आफ्टर-शेव की तैयारी, डेंटल फ्लॉस, चॉकलेट, वफ़ल, कोको पाउडर, कॉफी के अर्क और कॉन्संट्रेट, नॉन एल्कोहोलिक बेवरेज, हैंडबैग/शॉपिंग बैग, सिरेमिक सिंक, वॉश बेसिन, प्लाईवुड, दरवाजे, खिड़कियां, बिजली के उपकरण (स्विच, सॉकेट आदि) की निर्माण वस्तुओं पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी हो सकती है।

इन वस्तुओं के बढ़ सकते हैं दाम
सूत्रों के मुताबिक, जिन वस्तुओं की जीएसटी दरें बढ़ाई जा सकती हैं उनमें पापड़, गुड़, पावर बैंक, घड़ियां, सूटकेस, हैंडबैग, परफ्यूम, कलर टीवी सेट (32 इंच से कम), चॉकलेट, च्युइंगम, अखरोट, कस्टर्ड पाउडर, नॉन एल्कोहोलिक बेवरेज, सिरेमिक सिंक वॉश बेसिन, काले चश्मे, चश्मे के लिए फ्रेम और चमड़े के अपैरल और कपड़ों के सामान शामिल हैं।

पापड़ और गुड़ (गुड़) जैसी वस्तुओं पर  जीएसटी दरें शून्य से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है। चमड़े के  अपैरल और सहायक उपकरण, कलाई घड़ी, रेज़र, परफ्यूम, प्री-शेव/आफ्टर-शेव की तैयारी, डेंटल फ्लॉस, चॉकलेट, वफ़ल, कोको पाउडर, कॉफी के अर्क और कॉन्संट्रेट, नॉन एल्कोहोलिक बेवरेज, हैंडबैग/शॉपिंग बैग, सिरेमिक सिंक, वॉश बेसिन, प्लाईवुड, दरवाजे, खिड़कियां, बिजली के उपकरण (स्विच, सॉकेट आदि) की निर्माण वस्तुओं पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी हो सकती है।

हालांकि, पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी परिषद ने टैक्स दरों में बढ़ोतरी पर राज्यों से विचार नहीं मांगा है। सूत्रों ने कहा कि आधे से अधिक वस्तुओं को 28 प्रतिशत के हाई  जीएसटी स्लैब में ट्रांसफर करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं है। पीटीआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जीएसटी रेट को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रहे मंत्रियों के पैनल को अभी अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपनी है। साथ ही 5 पर्सेंट के टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 8 पर्सेंट किया जा सकता है। साथ ही ऐसी वस्तुएं जिनपर अभी छूट दी जा रही है उस पर 3% जीएसटी लग सकता है। जीएसटी परिषद की बैठक की अभी तक कोई तारीख घोषित नहीं की गई है, लेकिन यह मई के दूसरे सप्ताह में मीटिंग होने की संभावना है।

पहले भी किए गए हैं बदलाव
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल, इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था के लिए नवंबर 2017 और दिसंबर 2018 में कई वस्तुओं पर दरों में कटौती के संबंध में निर्णय लिए थे। गुवाहाटी में हुई नवंबर 2017 की बैठक में परफ्यूम, चमड़े के अपैरल और सहायक उपकरण, चॉकलेट, कोको पाउडर, ब्यूटी या मेकअप के सामान, आतिशबाजी, प्लास्टिक के फर्श कवरिंग, लैंप, ध्वनि रिकॉर्डिंग उपकरण और बख्तरबंद टैंक जैसी वस्तुओं की दरें कम कर दी गईं थी  और अब फिर से बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।

इसी तरह, दिसंबर 2018 की बैठक में रंगीन टीवी सेट और मॉनिटर (32 इंच से नीचे), डिजिटल और वीडियो कैमरा रिकॉर्डर, पावर बैंक जैसी वस्तुओं के लिए जीएसटी दरों को कम किया गया था और अब इसे बढ़ाने का प्रस्ताव है।

वर्तमान में GST की चार स्तरीय संरचना 
बता दें कि वर्तमान में GST एक चार स्तरीय संरचना है, जिस पर क्रमशः 5%, 12%, 18% और 28% की दर से टैक्स लगता है। आवश्यक वस्तुओं को या तो सबसे कम स्लैब में छूट या टैक्स लगाया जाता है, जबकि विलासिता और अवगुण वस्तुओं पर हाई टैक्स स्लैब लागू होता है। लग्जरी और सिन गुड्स पर सबसे अधिक 28 फीसदी स्लैब के ऊपर सेस लगता है।

इसपर टैक्स कलेक्शन उपयोग जीएसटी रोलआउट होने के बाद राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। इसके अलावा, सोने और सोने के आभूषणों पर 3% टैक्स लगता है। वहीं, अभी बिना ब्रांड वाले और बिना पैकेज वाले खाद्य पदार्थ और डेयरी वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।