Bihar Politics: उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं किसी की आस्था पर कुठाराघात नहीं करता लेकिन धर्म के नाम पर पिछड़ी जाति के लोगों को हमेशा बरगलाया गया। कहा कि बातें संवैधानिक विकास की होनी चाहिए थीं लेकिन आज हम भी बस राजा रामचंद्र की आरती गा रहे हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक जीतन राम मांझी अपने बयान से एक बार फिर चर्चा में हैं। शनिवार को धनबाद में उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं किसी की आस्था पर कुठाराघात नहीं करता, लेकिन धर्म के नाम पर पिछड़ी जाति के लोगों को हमेशा बरगलाया गया। कहा कि बातें संवैधानिक विकास की होनी चाहिए थीं, लेकिन आज हम भी बस राजा रामचंद्र की आरती गा रहे हैं।
पुजारियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि अपने समाज के लोगों को उन्होंने ऐसे लोगों से सचेत रहने को कहा है, जो पूजा कराने के नाम पर ठगते हैं। उन्होंने कहा कि कई पुजारी ऐसे हैं, जिन्हें श्लोक तक नहीं मालूम। वह गरीबों के भोलेपन का फायदा उठाते हैं। विवाह हो या श्राद्ध; यह किताब के नाम पर अखबार ले जाते हैं और फिर हनुमान चालीसा पढ़ते हैं।
उन्होंने कहा कि जो पूजा कराता है, सबसे पहले उसे प्रसाद ग्रहण करना चाहिए, लेकिन पिछड़ी जाति के लोगों के घरों में जाकर पुजारी प्रसाद न ग्रहण कर नगद पैसे ऐंठते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इन्हीं सब बातों पर चोट करता हूं, हालांकि इसके बावजूद मैं उनका विरोधी नहीं हूं। मैं बस ऐसे लोगों को चेता रहा हूं।
हर स्तर पर संगठन को मजबूत करने का चल रहा प्रयास: मांझी ने कहा कि पार्टी को गांव से लेकर जिले तक मजबूत करने का प्रयास हो रहा है। बिहार के अलावा झारखंड के कई जिलों, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब में भी उनकी पार्टी अच्छी स्थिति में है।
उन्होंने कहा कि भले फिलहाल वह सरकार बनाने की स्थिति में ना हों, लेकिन संगठन को मजबूत करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अभी छोटी है। संसाधन विहीन है। हर जगह अभी उनकी उपस्थिति नहीं है, लेकिन जहां भी हैं, पूरी मजबूती से हैं।
अब नहीं लड़ेंगे लोकसभा या विधानसभा का चुनाव, राज्यसभा में जाने की इच्छा: मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ में खूब कसीदे गढ़। उन्होंने कहा कि अब उनकी उम्र ढल रही है। कहा कि अब वह राज्यसभा या विधानसभा चुनाव में लोगों के बीच जाने की स्थिति में नहीं है। संकेत दिया कि राज्यसभा के लिए वह जोड़-तोड़ कर रहे हैं। गौरतलब है कि राज्यसभा में बिहार से दो सीटें रिक्त हैं।
राज्य शिक्षा बोर्ड की व्यवस्था पर उठाया सवाल: मांझी ने कहा कि सीबीएसई स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चे 99 प्रतिशत तक अंक हासिल करते हैं, जबकि बिहार बोर्ड या झारखंड बोर्ड के बच्चे काफी मेहनत के बाद भी 70, 75, 80 फीसद से ऊपर नहीं जा पाते। इसका खामियाजा उन्हें नौकरियों में भी भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आरक्षण के बाद भी पिछड़ी जाति के बच्चे शिक्षा के मामले में पिछड़े हैं, लेकिन असल मुद्दों की कभी बात ही नहीं की जाती।