सहरसा :- पैक्सों की मनमानी व लापरवाही के कारण धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिकांश किसानों को नहीं मिल पाया। बाजार में धान माटी के माेल बिकता रहा और पैक्स उन किसानों की हकमारी कर मालामाल होता रहा। कहीं फर्जी तरीके से अपने सगे- संबंधियों के नाम पर तो कहीं भूमिहीनों के नाम पर हजारों क्विंटल धान खरीदा गया।
- अच्छी पैदावार के बावजूद गेहूं बेचने के लिए सुस्त है किसानों का पंजीकरण
- – धान के समर्थन मूल्य का किसानों के बदले पैक्सों ने उठाया जमकर लाभ
वहीं अच्छी पैदावार के बावजूद गेहूं का बाजार मूल्य बेहतर रहने के कारण फर्जी तरीके से धान बेचनेवाले किसान पंजीकरण की सूची से गायब होने लगे। चूंकि बाजार में गेहूं 23 सौ से 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, और पैक्स ने इसका मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इसलिए किसानों को गेहूं बेचने में काेई रूचि नहीं है।
संभव नहीं है गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा होना : -खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने जिले में 13 लाख 55 हजार 46 मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है। इस आधार पर 17 हजार एमटी गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार का खरीद दर बाजार से कम होने के कारण इस लक्ष्य को पूरा किया जाना बेहद कठिन लगता है।
जब जिले में 45 हजार हेक्टेयर में लगा धान बर्बाद हो गया था, तो उस समय पैक्स अध्यक्ष अच्दी पैदावार का हवाला देकर लगातार लक्ष्य बढ़ोतरी का दबाव जिला प्रशासन पर बनाए रखा, परंतु गेहूं बेचने के समय पैक्स अध्यक्ष से चहेते सभी फर्जी किसान गेहूं की खरीद पंजीकरण से दूर हैं। यह धान खरीद में अनियमितता की भी पुष्टि करता है।
सरकार का मुख्य मकसद किसानों को फसल का बेहतर लाभ देना है। पैक्सों में गेहूं खरीदने की व्यवस्था की गई है। अगर किसानों को बाजार में अधिक कीमत मिल रहा है, तो वे वहां इसका लाभ ले सकते हैं। मकसद लाभकारी मूल्य दिलाना है। -शिवशंकर कुमार, डीसीओ, सहरसा।