बिहार यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा दलाली का खेल, सच्चाई इस तरह आई सामने

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के रजिस्टर से प्रवजन प्रमाण पत्र फाडऩे के आरोपित काजीपुर थाना क्षेत्र के गन्नीपुर निवासी रीतेश कुमार की कुछ कर्मचारियों से मिलीभगत थी। विवि के इन्हीं कर्मचारियों की मदद से वह कमाई करता था। उसने यह बात पुलिस के समक्ष स्वीकार की है।

रीतेश ने पुलिस से कहा है कि सोमवार की सुबह रंजीत ने उसे फोन करके बुलाया और कहा कि कोर्ट चलना है । रंजीत पहले विवि में दैनिक मजदूरी पर काम करता था । छह-सात माह पहले उसकी नौकरी चली गई थी। वह एलएस कालेज परिसर में सरकारी क्वार्टर में परिवार के साथ रहता है ।

रीतेश जब प्रवजन कार्यालय पहुंचा तो वहां रंजीत ने उसे प्रवजन प्रमाण पत्र वाला रजिस्टर दिया । उसने कहा कि प्रमाण पत्र को रिसीव कर उसे दे दे। तब रीतेश ने रजिस्टर से प्रमाण पत्र फाड़ लिया । ऐसा करते हुए किसी कर्मचारी ने उसे देख लिया। इसके बाद जैसे ही वह दूसरे काम से विश्वविद्यालय में आया , परीक्षा नियंत्रक ने उसे पकड़वाकर अपने कार्यालय में मंगवाया।

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उससे पूछताछ कर पुलिस बुलाई गई । फाड़े गए प्रवजन प्रमाण पत्र के पृष्ठ पर उसने हस्ताक्षर किया था। इस काम के लिए उसे एक हजार रुपया मिला था । उसने परीक्षा नियंत्रक को पूरी बताई। इसके बाद विवि थाना उसे अपने साथ ले आई।

परीक्षा नियंत्रक के आवेदन पर प्राथमिकी. :- परीक्षा नियंत्रक संजय कुमार के आवेदन पर धोखाधड़ी, सरकारी काम में बाधा व भादवि की अन्य धाराओं में विवि प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें उन्होंने कहा है कि रीतेश प्रवजन प्रमाण पत्र को फाड़कर भाग गया था। यह धोखाधड़ी व जालसाजी है।

प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने रीतेश को गिरफ्तार कर मंगलवार को उसे कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।