Bihar Politics: होली का त्योहार बिहार के दर्जनों परिवारों की खुशियों पर भारी पड़ गया है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों से लगातार संदिग्ध हालात में लोगों की मौत की सूचनाएं आ रही हैं और दबी जुबान से चर्चा है कि इन मौतों की वजह जहरीली शराब है। पुलिस और प्रशासन की टीम ने ऐसी वारदातों की जांच भी शुरू कर दी है।
दूसरी तरफ, राज्य में जहरीली शराब से हो रही मौतों पर राजनीति फिर एक बार तेज हो गई है। बिहार में प्रमुख विपक्षी दल राजद और कांग्रेस के नेताओं ने एक बार राज्य की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं तो भाजपा और जदयू ने शराबबंदी के फैसले के प्रति सरकार के संकल्प को दोहराया है।
जानिए शराबबंदी पर किसने क्या कहा : राज्य के प्रमुख विपक्षी राजद के विधान पार्षद रामबली सिंह ने कहा कि सरकार शराबबंदी कानून को लागू करने में पूरी तरह फेल है। इसके चलते राज्य और राज्य के लोगों को तरह तरह से नुकसान हो रहा है।
वहीं कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि सरकार अगर शराबबंदी को सही तरीके से लागू नहीं कर पा रही है तो इसमें सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठ कर रणनीति तय करनी चाहिए। बिहार की सरकार में सहयोगी दल भाजपा के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि शराब पीने और बेचने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है।
सदन में भी दिख सकता है असर : होली और होली से ठीक पहले राज्य के अलग-अलग हिस्सों में संदिग्ध हालात में हुई मौतों को लेकर विपक्ष सरकार को विधानमंडल में भी घेर सकता है। आपको बता दें कि अभी विधान मंडल का बजट सत्र भी चल रहा है। पिछले दो दिनों में बांका, भागलपुर और मधेपुरा में ऐसी घटनाएं हुई हैं। होली से पहले गोपालगंज जिले से भी ऐसा मामला सामने आया था।
जहरीली शराब बनाने वालों पर चले हत्या का मुकदमा : राजीव रंजन: भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा है कि सरकार के लगातार प्रयास के बाद भी जहरीली शराब से होने वाली मौत में कमी नहीं आ रही। भागलपुर में जहरीली शराब से मौत की घटना पर शोक व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मौत के जितने मामले आते हैं मौत उससे कहीं ज्यादा हैं, परंतु अधिकांश मामले पुलिस और शराब माफिया की वजह से दब जाते हैं। यह चिंता का विषय है और सरकार को इस पर और सख्ती दिखानी चाहिए।
जहरीली शराब का निर्माण मानवता के खिलाफ : रंजन ने कहा कि जहरीली शराब का का निर्माण मानवता के खिलाफ है। सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ सीधे हत्या का मुकदमा चलाना चाहिए। साथ ही इस तरह के मामलों की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट से करानी चाहिए ताकि सौ दिन की अधिकतम सीमा में अपराधी को सजा हो सके।
ऐसा होने से इस तरह के अपराध रुकेंगे। उन्होंने कहा बार-बार ऐसी घटनाओं का होना बताता है कि शराब माफिया काफी मजबूत हैं और प्रशासन का नेटवर्क उतना ही कमजोर। ऐसा प्रशासन के मिलीभगत के बिना संभव नहीं। साठ-गांठ रखने वाले पुलिस कर्मियों की पहचान कर नौकरी से निकाला चाहिए। जनता की जान से खिलवाड़ की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।