बिहार सरकार ने बदले नियम, ऐसे रिटायर अधिकारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर भी नहीं मिलेगी नौकरी, जानें पूरा मामला

सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मियों को संविदा पर लिए जाने के नियम में बदलाव किया गया है। यदि किसी सरकारी सेवक को सेवा के आखिरी 10 वर्षों में वृहद दंड या सेवाकाल के अंतिम 5 वर्ष के दौरान लघु दंड की सजा मिली है तो उन्हें संविदा पर नियोजित नहीं किया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बाबत सभी विभागों के साथ पुलिस महानिदेशक, प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।

पेंशन कटौती का दंड तो भी नहीं होगा विचार

इन दोनों के अलावा यदि किसी सरकारी सेवक को बिहार पेंशन नियमावली के प्रावधानों के अधीन पेंशन कटौती का कोई दंड मिला है तो उनके नामों को भी संविदा नियोजन के लिए समिति के समक्ष नहीं रखा जाएगा। सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों के संविदा नियोजन के लिए मख्यसचिव की अध्यक्षता में बनी राज्यस्तीय चयन समिति द्वारा तय किए गए नियम की अनुशंसा की गई थी। सामान्य प्रशासन ने इस अनुशंसा को लागू करने का निर्णय लेते हुए यह आदेश जारी किया है।

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इन्हें भी नहीं लिया जा सकता संविदा पर

इससे पहले साल 2015 में संविदा नियोजन को लेकर कुछ नियम बनाए गए थे। इस नियम के तहत वैसे सरकारी सेवकों की सेवाएं संविदा पर नहीं ली जा सकती है, जिनके खिलाफ निगरानी में कोई मामला हो या फिर कोई विभागीय कार्यवाही चल रही हो। इसके अलावा जिनपर कोई गंभीर आरोप विचाराधीन है या किसी तरह का कोई आपराधिक मामला दर्ज हो। पर इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि यदि किसी सेवानिवृत्त सरकारी सेवक के विरुद्ध सेवाकाल में वृहद या लघु दंड मिला हो या फिर पेंशन नियमावली के तहत पेंशन में कटौती का दंड दिया गया तो उनका संविदा नियोजन हो सकता है या नहीं। इसी के मद्देनजर यह व्यवस्था की है।