कोरोना का कहरः सताने लगा लॉकडाउन का डर, घर लौटने लगे प्रवासी बिहारी…

तीसरी लहर के शुरू होते बिहार से बाहर काम कर रहे प्रवासी सहम गए हैं। दूसरी लहर के कटु अनुभव और लौटने में हुई परेशानियों को वे भूल नहीं पाये हैं। यही कारण कि अभी लोकडौन या अन्य पाबंदियां नहीं लगने के बावजूद धीरे-धीरे प्रवासी अपने देस लौटने लगे हैं। हिन्दुस्तान ने कई स्टेशनों पर पड़ताल की तो पता चला कि दिल्ली, मुंबई, लुधियाना, जयपुर, कानपुर, कोलकाता, उड़ीसा आदि स्थानों से ज्यादा लोग बिहार लौट रहे हैं।

लॉकडाउन में फंसकर परेशानी नहीं झेलना चाहते

किशुन राम दिल्ली से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से गया जंक्शन पहुंचे। उन्होंने कहा- दिल्ली में सबको लॉकडाउन का डर है। इसलिए लौट आए। कोलकाता से आए सुमन रविदास बोले- इससे पहले की कंपनी काम बंद कर दे और लौटना मुश्किल हो जाए, खुद ही लौटने का फैसला कर लिया है। असम से छपरा स्टेशन पहुंचे मढ़ौरा के जमालपुर निवासी पिंटू साह और संजय साह ने बताया कि संक्रमण बढ़ने से लोग डरने लगे हैं। इसलिए लौट आये। राजस्थान से मढ़ौरा लौटे विजय सिंह, दिल्ली से लौटे झुमन साह और मो आज़ाद, विकास कुमार, रहमत अली ने बताया कि पिछले साल की तरह इस बार लॉकडाउन में फंसकर परेशानी नहीं झेलना चाहते हैं। रोहतास के न्यू डिलियां निवासी धनंजय कुमार मुंबई में निजी कंपनी में काम करते हैं। वे अब सपरिवार घर लौट आए। सासाराम स्टेशन पर उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में फंस न जाएं, इसलिए आ गए।

तीस फीसदी कर्मियों की उपस्थिति के साथ फैक्ट्री संचालित

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हैदराबाद के महबूब नगर से लौटे मजदूर प्रेम शंकर ने कहा मेरे साथ कई लोग ट्रेन से उतरे हैं। गोपालगंज में तकरीबन दो से तीन सौ की संख्या में रोजाना प्रवासी कामगार लौट रहे हैं। महाराष्ट्र से लौटे आशा खैरा गांव के कुंदन कुमार ने बताया कि उन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी है। लेकिन, महाराष्ट्र में बढ़ते संक्रमण से उन्होंने घर लौटने का निर्णय लिया। सूरत से लौटे मझौलिया के राजेश यादव वहां फिटर का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि तीस फीसदी कर्मियों की उपस्थिति के साथ वहां फैक्ट्री संचालित की जा रही है। इसलिए लौटना पड़ा।

बसों से आने का सिलसिला बढ़ा

प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन का डर सताने लगा है। यही वजह है कि मुजफ्फरपुर के सदातपुर तिराहे पर यात्रियों से भरी बसों के आने का सिलिसिला बढ़ गया है। मजदूर अमित दास ने बताया कि दिल्ली में अभी कंपनी के मालिक ने आने से मना नहीं किया है मगर संक्रमण की लगातार खराब स्थिति के कारण कभी भी ऐसी घोषणा हो सकती है। वे ग्लास बनाने वाली प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करते हैं। पिछली बार वे फंस गए थे। उनके चचेरे भाई की कोरोना से मौत हो गई थी। इसलिए इस बार वे लोग समय से पहले ही लौट आए एनएच 27 के रास्ते दिल्ली से लोग बस से भी लौट रहे हैं। मंगलवार को सीतामढ़ी लौट रहे  आमोद पटेल ने बताया कि वह दिल्ली में चाउमीन का ठेला लगाते हैं। वहां संक्रमण फैलने के बाद बाजार को बंद कर दिया गया है।

कंपनी अभी बंद तो नहीं है लेकिन लॉकडाउन का भय सता रहा

डुमरांव स्टेशन पर मगध एक्सप्रेस चंदा गांव के नारद नोनिया व रामप्रवेश राम उतरे। बक्सर स्टेशन पर श्रमजीवी व गरीब एक्सप्रेस से बलिया जिले के फेफना निवासी रामशंकर प्रसाद, सोनी देवी ने कहा, कंपनी अभी बंद तो नहीं है लेकिन लॉकडाउन का भय सता रहा है। मंगलवार दोपहर साढ़े तीन बजे पटना पहुंची एलटीटी भागलपुर एक्सप्रेस से आए राजकुमार ने बताया कि वे मुम्बई में फैक्ट्री में काम करते हैं। दोबारा लॉकडाउन लगने की आशंका सता रही है, इसलिए होली के अवसर पर घर आने वाले उनके अन्य साथी अभी ही वापस आने का मन बना रहे हैं। पुनपुन निवासी सुभाष यादव ने बताया कि डर है कि कहीं फैक्ट्री बन्द हो न जाए। माहिम में मिस्त्रत्त्ी का काम करने वाले राजकुमार कहते हैं कि मुम्बई में भी प्रतिबंध बढ़े होने की आशंका से वे लौट आए हैं।