खगड़िया के इस चचरी पुल की अनोखी दास्तान, नदी पार करने के लिए यात्रियों को करने होते हैं ये काम

खगडिय़ा। इस चचरी पुल के एक ओर खगडिय़ा तो दूसरी ओर सहरसा है। सहरसा के लोगों ने पुल बनाया है तो नदी में खगडिय़ा के नाविकों की नावें हैं। इस कारण यदि खगडिय़ा के लोगों को पुल पर चलना हो तो शुल्क देना होता है। इस कारण ये लोग सालाना शुल्क देकर नाव से यात्रा करते हैं। यह अनोखा पुल कमला नदी पर है। इसी नदी का महत्वपूर्ण घाट आगर और मुसहरिया डीह घाट है। एक सहरसा में है तो दूसरा खगडिय़ा में। घाट के पूरब सहरसा जिले के आगर टोल व कठडुमर आदि गांव हैं। पश्चिम में खगडिय़ा जिले की चेराखेरा, शहरबन्नी आदि पंचायतें हैं।

सहरसा जिले के इस इलाके के लोग स्वास्थ्य और शिक्षा के अलावा रोजमर्रा के सामान के लिए खगडिय़ा जिले में अलौली प्रखंड के मोहराघाट बाजार पर निर्भर हैं। यह फरकिया का महत्वपूर्ण बाजार है। यहां हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हाईस्कूल आदि भी हैं। सहरसा के आगर टोल, कठडुमर आदि के मरीज बीमार पडऩे पर यहां ही आते हैं। बच्चे भी पढ़ाई-लिखाई को ले आते हैं। चेराखेरा के दुलारचंद कहते हैं- कमला नदी पर आगर टोल के घटवार ने बांस का पुल बनाया है। वे सहरसा की तरफ के लोगों को बिना पैसे के पुल पार करने देते हैं।

स्थानीय लोग इसके बदले उन्हें सालाना शुल्क के रूप में अनाज देते हैं। अब खगडिय़ा के लोग उस पार जाते हैं, तो उन्हें इसके लिए आने-जाने में 30 रुपये देने पड़ते हैं। चाहे पैदल जाएं अथवा बाइक से। दोनों तरफ के लोगों को ट्रैक्टर समेत अन्य चारपहिया वाहन पार कराने के लिए नाव का सहारा लेना होता है। दुलारचंद की खेतीबाड़ी उस पार है। वे कहते हैं-जब मक्का की फसल तैयार हो जाती है, तो घर लाने में घटवार को छह सौ रुपये देने पड़ते हैं। समय भी अधिक लगता है।

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अभी तक पुल के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। इधर, नदी में नावें खगडिय़ा के नाविकों की हैं। इस कारण खगडिय़ा के लोग पुल से न जाकर नाव से नदी पार करते हैं। – प्रदीप कुमार, सीओ, अलौली।

आज तक यह इलाका उपेक्षित रहा है। जनप्रतिनिधियों ने यहां की उपेक्षा की है। यहां के लोगों की आवाज को सरकार तक पहुंचाया जाएगा। – रजनीकांत कुमार, जिला परिषद सदस्य, जिप क्षेत्र संख्या-एक

आगर घाट पर पुल बनना आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र के विकास को लेकर आवागमन की सुविधा जरूरी है। इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री से बात हुई है। ठोस आश्वासन मिला है। – चौधरी महबूब अली कैसर, सांसद, खगडिय़ा